![Bihar: सरकारी अस्पतालों की निगेटिव खबरों के बीच…इस सदर अस्पताल ने एक्टोपिक टेस्टिस का सफल प्रत्यारोपण किया Bihar: सरकारी अस्पतालों की निगेटिव खबरों के बीच…इस सदर अस्पताल ने एक्टोपिक टेस्टिस का सफल प्रत्यारोपण किया](https://muzaffarpurwala.com/wp-content/uploads/https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/04/09/750x506/samastipur-sadar-hospital-successfully-transplanted-an-ectopic-testis-of-an-eight-year-old-boy_1681049587.jpeg)
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![Bihar: सरकारी अस्पतालों की निगेटिव खबरों के बीच...इस सदर अस्पताल ने एक्टोपिक टेस्टिस का सफल प्रत्यारोपण किया समस्तीपुर सदर अस्पताल ने बिहार के एक आठ साल के बच्चे की अस्थानिक वृषण का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2023/04/09/750x506/samastipur-sadar-hospital-successfully-transplanted-an-ectopic-testis-of-an-eight-year-old-boy_1681049587.jpeg?w=414&dpr=1.0)
चार घंटे चला ऑपरेशन
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बिहार के समस्तीपुर सदर अस्पताल में चार डॉक्टरों की टीम ने मिलकर एक्टोपिक टेस्टिस यानी अंडकोष का सफल प्रत्यारोपण किया है। इस ऑपरेशन में चार डॉक्टरों की टीम को चार घंटे का समय लगा। बताया जा रहा है कि यह ऑपरेशन अगर मरीज निजी क्लीनिक या हॉस्पिटल में कराते तो उन्हें कम से कम डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता। लेकिन सदर अस्पताल में ऑपरेशन कराने पर मरीज का एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ।
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गिरीश कुमार ने बताया कि अस्पताल में शनिवार को चार घंटे तक चले ऑपरेशन में एक आठ साल के बच्चे के एक्टोपिक टेस्टिस यानी अंडकोष का सफल प्रत्यारोपण किया गया। उन्होंने बताया कि समस्तीपुर जिले के हसनपुर प्रखंड के बड़गांव निवासी काली यादव के आठ साल के बेटे के अंडकोष के दाहिने भाग की एक टेस्टिस नहीं थी। इसके बाद परिजन उसे लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, जहां ओपीडी में सर्जन डॉ. सुमित कुमार ने बच्चे की जांच की। इस दौरान अल्ट्रासाउंड में पाया गया कि बच्चे के अंडकोष का टेस्टिस पेट के नीचले भाग में फंसा हुआ है। इसके लिए ऑपरेशन करना जरूरी है। इसके बाद शनिवार को ऑपरेशन की तैयारी की गई।
आपरेशन के दौरान इसे खिसकाकर सामान्य स्थान पर प्रत्यारोपण किया गया। ऑपरेशन की टीम में सर्जन डॉ. सुमित कुमार के अलावा डॉ. राजेश कुमार यादव, मूर्च्छक रोग विशेषज्ञ डॉ. गिरीश कुमार आदि थे। डीएस डॉ. गिरीश कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में पहली बार टेस्टिस का प्रत्यारोपण किया गया है। यह एक बड़ी सफलता है।
ऑपरेशन में लगा चार घंटे का समय
डॉक्टर सुमित कुमार ने बताया कि यह ऑपरेशन सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी के निर्देशन में चार डॉक्टरों की टीम ने किया। इसमें करीब चार घंटे का समय लगा। उन्होंने बताया कि एक्टोपिक टेस्टिस बचपन में ही सामने आता है जो अपनी जगह से कहीं अलग छुपा रहता है। उसे जगह पर लाना जरूरी होता है। अगर इसे सही जगह पर नहीं लाया गया तो यह कैंसर का रूप ले सकता है अथवा आने वाले समय में बच्चा नपुंसक हो सकता है।
निजी क्लिनिक में खर्च होते करीब दो लाख रुपये
बताया गया है कि एक्टोपिक टेस्टिस के ऑपरेशन के लिए निजी क्लीनिक और डॉक्टर करीब दो लाख रुपये चार्ज करते हैं। पीड़ित के पिता काली यादव ने बताया कि बीमारी उजागर होने के बाद वह बेगूसराय के एक निजी क्लीनिक में गए थे। वहां डॉक्टरों ने 2.10 लाख रुपये की मांग की थी। लेकिन वह इतनी राशि देने में असमर्थ था इसलिए बेटे को लेकर सदर अस्पताल पहुंचा।
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