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औरंगाबाद में 115 लोगों ने ईसाई धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म में की ‘घर वापसी’
– फोटो : AMAR UJALA DIGITAL
विस्तार
बिहार के औरंगाबाद जिले में गुरूवार को एक साथ लगभग 115 लोगों ने ईसाई धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म में ‘घर वापसी’ की है। इसके लिए हिंदु संगठन धर्म जागरण मंच द्वारा दलित बस्ती में एक समारोह का आयोजन किया गया, जहां इनकी ससम्मान घर वापसी हुई। यह कार्यक्रम विश्व प्रसिद्ध सौर तीर्थ स्थल देव में कराया गया, जहां सैकड़ों की संख्या में लोगों ने ईसाई धर्म छोड़कर हिन्दू धर्म में घर वापसी की। दलित-महादलितों की सनातन धर्म(घर वापसी) में पहली बार स्वैच्छिक वापसी हुई है। यह घर वापसी देव की दलित बस्ती अजब बिगहा(भुईयां बिगहा) में कराई गई है। घर वापसी के दौरान सामूहिक हवन पूजन किया गया। इस दौरान भाजपा के जिला मंत्री आलोक कुमार सिंह ने दलितों के पैर धोए और ससम्मान सनातन धर्म में स्वागत किया।
इस वजह से बदल लिया था धर्म
वापस धर्म बदलने वाले लोगों ने हिन्दू धर्म से इसाई धर्म में जाने के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि करीब दो साल पहले इसाई मिशनरी के प्रभाव में बेहतर लाइफ स्टाइल, बच्चों की शिक्षा और जॉब के प्रलोभन में आकर धर्म बदल लिया था लेकिन अब इन्हें अपनी गलतियों कैह्सास हो रहा है इसलिए ये लोग वापस अपने हिन्दू धर्म में लौट कर घर वापसी कर रहे हैं। इनमें सुरेंद्र चौधरी, रमेश राम, बुधन रिकियासन, नरेश रिकियासन, राजाराम रिकियासन, यदुनंदन, प्रवेश, भुनेश्वर, शौखिन, रामचंद्र, मिश्री, धनकेश्वरी देवी, सुगिया देवी, राजो देवी, लक्ष्मनिया देवी, मुनवा देवी, माधुरी देवी, सोनिया देवी, मानती देवी, राजन्ति, तेतरी, खदेरनी, जितनी, राजरनिया, विकास, कैलाश, मनोरमा, नगीना, रौशन, चिंटू , अशोक, संजय, मनोज, लखन सहित अन्य लोग शामिल हैं।
शपथ दिलाई गई
इस कार्यक्रम में धर्म जागरण मंच के प्रांत संयोजक अरुण कुमार, भाजपा के जिला मंत्री आलोक कुमार सिंह, धर्म जागरण मंच के जिला संयोजक अजीत कुमार सिंह, परियोजना प्रभारी संतोष पांडेय और स्थानीय समाजसेवी बिजेंद्र कुमार सिंह भी उपस्थित थे। इन लोगों का कहना है कि ये लोग गलती से भटक कर सनातन धर्म से विमुख हो गए थे। अब सनातन धर्म में इनका हृदय से स्वागत है।उन्होंने कहा कि इसके लिए हवन पूजन हुआ, उनसब का शुद्धिकरण कराया गया और फिर उन्हें हिंदू धर्म अपनाने के लिए शपथ दिलाई गई।
इस वजह से मिशनरी अपनी योजना में हो गए थे कामयाब
देव का यह इलाका अत्यंत नक्सल प्रभावित रहा है। एक समय इस पूरे क्षेत्र में नक्सलियों की तूती बोलती थी लेकिन समय के साथ साथ यह प्रभाव क्षीण होता चला गया। नक्सल प्रभाव के क्षीण होने के बाद यह इलाका मिशनरियों को अपने लिए मुफीद लगा। उन्हे अपने प्रयास में सफलता भी मिली। बाद में जानकारी मिलने पर जब हिंदु संगठनों ने काम शुरू किया तो मिशनरियों के पांव उखड़ गये और अब घर वापसी शुरू हो गई। यह सिलसिला आगे भी चलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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