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बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर।
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
रामचरितमानस पर दिए गए बयान को लेकर अब विवाद काफी बढ़ता ही जा रहा है। बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) और आरजेडी का गठबंधन है, लेकिन इस विवाद पर दोनों पार्टियां आमने सामने आ चुकी है। वहीं जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक संजीव कुमार ने रविवार को रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि टिप्पणियों से पता चलता है कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।
विधायक संजीव कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा दिया गया बयान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि शास्त्र हमें हमारे मूल्यों, जीवन के तरीके, भगवान राम का जीवन हमारे कर्तव्यों के बारे में बहुत कुछ सिखाता हैं। साथ ही उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि रामचरित्रमानस पर चंद्रशेखर की टिप्पणी बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे लगता है कि उन्हें रामचरित्रमानस के बारे में पर्याप्त ज्ञान नहीं है। रामचरित्रमानस एक हिंदू ग्रंथ है और हमारी आस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह हमारे मूल्यों, तरीके के बारे में बात करता है।
संजीव ने कहा कि तुलसीदास ने इसे बहुत सोच-समझकर लिखा है। और अगर आप इसके बारे में बकवास करते हैं, तो मुझे लगता है कि उनकी मानसिक स्थिति वास्तव में ठीक नहीं है। संजीव ने कहा कि मंत्री या तो माफी मांगें या हिंदू धर्म छोड़ दें। विधायक कुमार ने कहा कि आपके लिए अभी भी बहुत समय है। आगे बढ़ें और माफी मांगें, अपना बचाव न करें। यदि आप ऐसा नहीं करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि आप कोई अन्य धर्म अपना लें और हिंदू धर्म छोड़ दें।
कब क्या बोले शिक्षामंत्री
दरअसल गुरूवार को नालंदा खुला विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांश समारोह में शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने बच्चों को बैकवर्ड और फॉरवर्ड का जमकर पाठ पढाया था जिस वजह से उनकी काफी आलोचना हुई थी। उन्होंने कहा था कि आपको मालूम है कि मनुस्मृति को ज्ञान के प्रतीक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने क्यों जलाया? गूगल पर आप देखेंगे तो पाएंगे कि मनुस्मृति में वंचितों और वंचितों के साथ-साथ नारियों को शिक्षा से अलग रखने की बात कही गई है। शिक्षा का अधिकार, संपत्ति का अधिकार न नारियों को था, न वंचितों को और न शूद्रों को था। उसके बाद पंद्रहवीं-सोलहवीं सदी में रामचरितमानस लिखी गई जिसमें तुलसीदास जी ने लिखा है कि पूजिये न पूजिये विप्र शील गुण हीना, शुद्र ना गुण गन ज्ञान प्रवीना…अगर ये विचारधार चलेगा तो भारत को ताकतवर बनाने का सपना कभी पूरा नहीं होगा। दीक्षांत समारोह में बैकवर्ड-फॉरवर्ड करने के बाद शिक्षा मंत्री जब बाहर निकले तो मीडिया से भी ऐसी ही बातें कीं थी । उन्होंने कहा था कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करके जहरीले हो जाते हैं, जैसा कि सांप धूप पीने के बाद होता है। मैं इसलिए यह बात करता हूं कि इसी चीज को कोट करके बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने दुनिया के लोगों को बताया कि ये जो ग्रंथ हैं, नफरत को बोने वाले.एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस और तीसरे युग में गुरु गोलवलकर का बंच ऑफ थॉट। ये दुनिया को, हमारे देश को, समाज को नफरत में बांटती है।”
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