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मोहन भागवत
– फोटो : PTI
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि शाहजहां ने काशी के विद्वानों से शास्त्रार्थ में हार के बाद जजिया कर वापस लिया था। उन्होंने कहा कि इस शास्त्रार्थ के बाद ही शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह की हिंदू धर्मग्रंथों में दिलचस्पी पैदा हुई थी।
संघ प्रमुख बिहार के बक्सर जिले में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शाहजहां ने तो जजिया कर वापस ले लिया था, लेकिन जब उसका छोटा बेटा औरंगजेब 1658 में मुगल साम्राज्य का शासक बना तो उसने फिर से इसे बहाल कर दिया।
मोहन भागवत ने कहा कि जब शाहजहां ने हिंदुओं की धर्मयात्रा या धार्मिक सभाओं पर जजिया कर लगाने की घोषणा की तो काशी के विदानों ने इसका विरोध किया और उसे बहस की चुनौती दी। जजिया कर लगाने की वजह पूछा। दोनों पक्षों के बीच धर्म की व्याख्या को लेकर छह महीने तक शास्त्रार्थ चला। इसके बाद शाहजहां ने अपनी हार मान ली थी।
भागवत ने अंतिम मुगल सम्राट के बारे में कहा कि अनुभव ने शाहजहां को जजिया वापस लेने के लिए प्रेरित किया था, लेकिन उनके छोटे बेटे औरंगजेब के भाई की हत्या करके सिंहासन ग्रहण करने के बाद जजिया कर फिर से लगाया गया था।
उन्होंने कहा कि यह ज्ञात होना चाहिए कि शास्त्रार्थ ने दारा शिकोह को बहुत प्रभावित किया था, यही कारण है कि उन्होंने उपनिषदों, गीता और रामायण में रुचि ली और फारसी में इनका अनुवाद किया।
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