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Amit Shah Bihar Visit: बिहार में एक बार फिर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आने का प्रोग्राम तैयार है। इस बार अमित शाह स्वामी सहजनानंद सरस्वती की जयंती पर 22 फरवरी को पटना आएंगे। इस जयंती के बहाने बीजेपी पार्टी से नाराज चल रहे भूमिहार वोट बैंक को साधेगी।
2019 में, एनडीए, जिसमें तब भाजपा, जद (यू) और लोजपा शामिल थे, ने बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर जीत हासिल की थी। नीतीश के बाहर होने से, भाजपा नेतृत्व को जो चिंता है वो भूमिहारों में फैली नाराजगी है, जो पार्टी का पारंपरिक वोट बैंक रहा है। पिछले साल अप्रैल में बोचहां विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद राजद ने परिषद चुनावों में इस जाति के उम्मीदवारों को तरजीह दी।
अमित शाह का ‘भूमिहार प्लान’
इस पृष्ठभूमि में, 22 फरवरी को किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती समारोह में भाग लेने के लिए शाह की प्रस्तावित यात्रा राजनीतिक महत्व रखती है। भाजपा प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि ‘स्वामी सहजानंद को भूमिहार समुदाय का नेता माना जाता है और समारोह में अमित शाहजी की उपस्थिति वास्तव में इस समुदाय को बढ़ावा देगी।’ बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि पार्टी हर कीमत पर भूमिहार मतदाताओं को अपने साथ बरकरार रखना चाहती है।
पिछली घटनाओं से बीजेपी ने लिया सबक
पार्टी के एक अन्य नेता ने नाम न छापने की शर्त पर टाइम्स न्यूज नेटवर्क को कहा कि ‘पिछली घटनाएं हमारे लिए एक सबक हैं। बीजेपी को अपने दम पर प्रदर्शन करना है और इसलिए हम चीजों को सही करने और अगले लोकसभा चुनावों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए ओवरटाइम काम कर रहे हैं।’ उनके अनुसार, पार्टी का ध्यान ओबीसी और अत्यंत पिछड़ी जाति (ईबीसी) मतदाताओं का समर्थन हासिल करने पर है, जो RJD और जद (यू) दोनों के पारंपरिक वोट बैंक रहे हैं। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमित शाह राज्य में पार्टी संगठन को मजबूत करने की भी कोशिश कर रहे हैं।
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