Home Bihar Bihar : पासवान के भाई पारस बोले- भतीजा चिराग NDA में आए तो दिक्कत नहीं, मगर वह तो न इधर है और न उधर

Bihar : पासवान के भाई पारस बोले- भतीजा चिराग NDA में आए तो दिक्कत नहीं, मगर वह तो न इधर है और न उधर

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Bihar : पासवान के भाई पारस बोले- भतीजा चिराग NDA में आए तो दिक्कत नहीं, मगर वह तो न इधर है और न उधर

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देवयानी मित्रा के पार्टी में शामिल होने को लेकर किया था प्रेस कांफ्रेंस।

देवयानी मित्रा के पार्टी में शामिल होने को लेकर किया था प्रेस कांफ्रेंस।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक  दिवंगत रामविलास पासवान के छोटे भाई और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने साफ कहा कि सांसद चिराग पासवान के लिए उनके पास कोई जगह नहीं है। वह तो अपने पिता की उस बात को भी नहीं समझ सके, जिसमें वह कहते थे कि रोड पर वही जानवर मरता है, जो यह निर्णय नहीं लेता है कि इधर जाएं या उधर जाएं। चिराग पासवान की मोटा-मोटी स्थिति वही है। भतीजा चिराग NDA में आए तो दिक्कत नहीं, लेकिन वह तो न इधर है और न उधर।

विधान परिषद् में भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे

लोजपा (रामविलास) की प्रवक्ता देवयानी मित्रा को अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोजपा में शामिल कराने के बाद पशुपति कुमार पारस ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी। इस अवसर पर पारस ने कहा कि शिक्षक-स्नातक सीटों के विधान परिषद् चुनाव में भाजपा के पांचों जगह उम्मीदवार हैं और इन सभी एनडीए उम्मीदवारों को जिताने के लिए वह प्रचार में भी उतरेंगे।

मना किया, फिर चिराग पर खुलकर बोले भी चाचा पशुपति

भतीजे चिराग पासवान को लेकर सवालों पर पहले तो चाचा पशुपति कुमार पारस ने सवालों से किनारा किया, लेकिन फिर अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान की बातों को याद करते हुए ही जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “हमारे बड़े भाई कहते थे कि रोड पर अक्सर वही जानवर मरता है, जो यह डिसीजन नहीं लेता कि पूरब जाएं या पश्चिम। चिराग पासवान की भी यही हालत है। वह भाजपा के साथ भी, भाजपा के खिलाफ भी रहते हैं। महागठबंधन के खिलाफ भी प्रत्याशी देते हैं और भाजपा के खिलाफ भी। अगर वह एनडीए में रह गए होते तो हमारी पार्टी नहीं टूटती। हमारे बड़े भाई की मेहनत से बनाई पार्टी नहीं टूटती।”

चिराग को 2020 में वोट हमारे बड़े भाई के नाम पर मिला

पारस ने कहा कि “व्यक्ति नहीं, समय बलवान होता है। किनका घर टूटेगा, किनका बचेगा यह समय बता देगा। चिराग को यही अंदाजा नहीं कि उन्हें 2020 के विधानसभा चुनाव में जो वोट मिले, वह इसलिए कि हमने विरोध नहीं किया और हमारे बड़े भाई के निधन से मिली सहानुभूति उनके खाते में चली गइ। इसके बाद वह अपनी हालत देख लें। अगर वह छह प्रतिशत वोट चिराग के नाम पर आए होते तो उपचुनावों में वह प्रभाव दिखता। हाजीपुर में एमएलसी चुनाव में चिराग ने राजद के लिए वोट की अपील की, लेकिन लोगों ने नहीं माना। औरंगाबाद में चिराग पासवान ने अपने जिलाध्यक्ष को विधान परिषद् के लिए उतारा तो वहां उसे 19 वोट मिले। तारापुर और कुशेश्वरस्थान के उपचुनाव में चिराग की पार्टी का हाल देखने लायक रहा था। जब वह अपनी जिद और अनिर्णय की स्थिति में रहेंगे तो यह झेलना ही पड़ेगा।” पारस से जब चिराग के साथ आने का सवाल पूछा गया तो उन्हाेंने कहा कि एनडीए, यानी गठबंधन में चिराग के आने से कोई दिक्कत नहीं, लेकिन हमारी पार्टी का एक होना या उनका हमारे साथ आना संभव नहीं।

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