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वार्ड 58 में पार्षद सीट पर होगा उपचुनाव
– फोटो : सोशल मीडिया
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राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े पूर्व मेयर अफजल इमाम की निवर्तमान वार्ड पार्षद पत्नी ने मेयर सीट के साथ वार्ड 52 से भी चुनाव लड़ा था। मेयर का चुनाव हार गईं, लेकिन वार्ड पार्षद में जीत गईं। यही डर मेयर सीट पर उतरीं निवर्तमान मेयर सीता साहू को भी था। वह फिर से मेयर पद की शपथ लेंगी और वार्ड 58 से पार्षद की सीट छोड़ेंगी। मतलब, अब इस सीट पर उप चुनाव होगा।
मेयर बन रहीं सीता साहू वार्ड 58 से पार्षद के चुनाव में भी उतरी थीं और अपने वार्ड में उनकी इस जीत के साथ ही यह भी माना जा रहा है कि राजनीतिक रूप से सक्रिय उनके बेटे अब मां की जीतकर छोड़ी इस सीट पर उतर सकते हैं। मेयर के निवर्तमान टर्म में सीता साहू के बेटे शिशिर उनकी हर तरीके से मदद करते हुए नगर निगम की राजनीति के साथ कामकाज में भी सक्रिय थे। इसलिए यह संभावना बन सकती है। अगर वह खुद अपना नाम हटा लेते हैं तो मेयर के इस चुनाव में बूथ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी संभालने वाले दो में से एक सहयोगी को सीता साहू अपनी पार्षद वाली छोड़ी सीट चुनाव लड़ने के लिए दे सकती हैं।
राजद की पकड़ कमजोर, गांधी के हाथ खाली…
शुक्रवार को आए मतगणना के परिणाम में वार्ड 52 की पार्षद चुनी गईं महजबीं को उम्मीद थी कि सीता साहू के वोटों में बिखराव से मेयर पद पर उनकी जीत हो सकती है। काफी हद तक यह हुआ भी, लेकिन मेयर की सीट पर अंतिम परिणाम उनके बूते से बाहर का निकला। शुक्र मनाने की बात यह रही कि वार्ड पार्षद की सीट पर वह बड़े अंतर से जीत गईं। मेयर चुनाव में दूसरे नंबर पर रहीं महजबीं पहले भी वार्ड पार्षद रहीं और अब भी रहेंगी।
पूर्व मेयर अफजल इमाम को राजद का साथ मिला, लेकिन वह अपनी पत्नी को जिता नहीं सके। राजद की कमजोर पकड़ के कारण ही पटना की डिप्टी मेयर सीट पर डॉ. अंजना गांधी को जीत नहीं मिली। डॉ. अंजना ने वार्ड पार्षद का चुनाव नहीं लड़ा था, इसलिए इस चुनाव में उनके हाथ कुछ नहीं लगा। वार्ड 44 की निवर्तमान पार्षद माला सिन्हा का हाल और बुरा रहा। वह पार्षद का चुनाव भी हारीं और मेयर की सीट पर दावों से उलट कहीं की नहीं दिखीं।
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