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बिहार में नीतीश सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराए जाने की घोषणा के बाद से ही इसे लेकर बयानबाजी शुरू हो गई है। जातीय गणना में भाजपा की मांग पर मुस्लिमों सहित सभी धर्मों की जातीय और उप-जातीय गणना को शामिल किया गया है।इस बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रविवार को कहा कि वह बिहार में जातियों की गिनती में ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों’ को वैधता देने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करेंगे।
उन्होंने कहा कि ‘हमें जनगणना को लेकर कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसे मुसलमानों के बीच जाति भेद को ध्यान में रखना चाहिए। इसके अलावा, अगर बांग्लादेशी घुसपैठिए इस गणना में शामिल हो जाते हैं, तो हम इसका कड़ा विरोध करेंगे।’
गौरतलब है कि गिरिराज सिंह भाजपा के फायरब्रांड नेता माने जाते हैं। गिरिराज सिंह बेगूसराय लोकसभा सीट से सांसद हैं। वे रविवार को तपस्वी और किसान नेता स्वामी सदानंद सरस्वती की स्मृति में आयोजित एक समारोह में भाग लेने के लिए मुजफ्फरपुर आए थे। इस मौके पर उन्होंने जातीय जनगणना को लेकर यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि मैं स्वामी जी के उदाहरण का अनुसरण करता हूं, जो एक भूमिहार परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन हमेशा जमात (समाज) के बारे में सोचते थे, जाट (जात) के बारे में नहीं। जातीय जनगणना के बारे में मुख्यमंत्री की जदयू और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद की राजद का दावा है कि वे ओबीसी वर्ग को शांत करना चाहते हैं। दोनों दलो का कहना है कि ओबीसी वर्ग के लोग बिहार में संख्यात्मक रूप से ज्यादा हैं और तीन दशक पहले मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किए जाने के बाद से बिहार की राजनीति का केंद्र रहे हैं।
वहीं, भाजपा ने सर्वदलीय बैठक में जातीय जनगणना को लेकर आपत्तियां जताई थीं। जिसके बाद इस महीने की शुरुआत में जातीय जनगणना के लिए कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। भाजपा का पहला तर्क यह था कि उच्च जाति के मुसलमानों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में गलत जानकारी देकर ओबीसी कोटे का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा अवैध बांग्लादेशी अप्रवासियो को इस जनगणना से बाहर रखा जाना चाहिए। भाजपा ने कहा था कि ऐसा न हो कि वे नागरिक होने का दावा करना शुरू कर दें और संबंधित लाभों की मांग करें।
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