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Bihar: जदयू में घट रहा आरसीपी का कद, चार करीबी नेता पार्टी से किए गए बाहर अब इस्तीफे की भी उठी मांग

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Bihar: जदयू में घट रहा आरसीपी का कद, चार करीबी नेता पार्टी से किए गए बाहर अब इस्तीफे की भी उठी मांग

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राज्यसभा चुनाव भले ही हो चुके हों, लेकिन बिहार की राजनीति में केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह का मामला ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है। पहले उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं मिला और केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है। ऊपर से अब जदयू में भी उनका कद घटता जा रहा है।

मंगलवार को जदयू ने आरसीपी के करीबी नेताओं को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए पार्टी से बाहर कर दिया। अब पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है, आरसीपी सिंह को नैतिकता के आधार पर अपना पद छोड़ देना चाहिए।

मंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं
आरसीपी सिंह ने कहा, जब तक कोई व्यक्ति संसद का सदस्य है, जब तक आराम से मंत्री रह सकता है। अगर सदस्यता नहीं है तो नैतिकता होनी चाहिए। आरसीपी सिंह अभी जिस स्थिति में हैं, उसमें उनके केंद्र में मंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। उन्हें इस्तीफा देने में देर नहीं करनी चाहिए।

खुद तय करें अपनी भूमिका
जदयू में आरसीपी सिंह की भूमिका के सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, यह पार्टी का एजेंडा नहीं है। आरसीपी सिंह को खुद तय करना होगा कि उनकी भूमिका क्या है। जानकारों की मानें तो केंद्रीय मंत्री बनने से पहले आरसीपी सिंह ने जदयू के नेताओं से सहमति नहीं ली थी। यही कारण है कि जदयू के कई नेता उनसे नाराज होते चले गए और न ही उन्हें जदयू और न ही भाजपा की तरफ से राज्यसभा में उतारा गया। अब आरसीपी सिंह की राज्यसभा सदस्यता सात जुलाई को खत्म हो रही है।

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राज्यसभा चुनाव भले ही हो चुके हों, लेकिन बिहार की राजनीति में केंद्रीय इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह का मामला ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है। पहले उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं मिला और केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है। ऊपर से अब जदयू में भी उनका कद घटता जा रहा है।

मंगलवार को जदयू ने आरसीपी के करीबी नेताओं को अनुशासनहीनता का हवाला देते हुए पार्टी से बाहर कर दिया। अब पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है, आरसीपी सिंह को नैतिकता के आधार पर अपना पद छोड़ देना चाहिए।

मंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं

आरसीपी सिंह ने कहा, जब तक कोई व्यक्ति संसद का सदस्य है, जब तक आराम से मंत्री रह सकता है। अगर सदस्यता नहीं है तो नैतिकता होनी चाहिए। आरसीपी सिंह अभी जिस स्थिति में हैं, उसमें उनके केंद्र में मंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। उन्हें इस्तीफा देने में देर नहीं करनी चाहिए।

खुद तय करें अपनी भूमिका

जदयू में आरसीपी सिंह की भूमिका के सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, यह पार्टी का एजेंडा नहीं है। आरसीपी सिंह को खुद तय करना होगा कि उनकी भूमिका क्या है। जानकारों की मानें तो केंद्रीय मंत्री बनने से पहले आरसीपी सिंह ने जदयू के नेताओं से सहमति नहीं ली थी। यही कारण है कि जदयू के कई नेता उनसे नाराज होते चले गए और न ही उन्हें जदयू और न ही भाजपा की तरफ से राज्यसभा में उतारा गया। अब आरसीपी सिंह की राज्यसभा सदस्यता सात जुलाई को खत्म हो रही है।

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