Home Bihar Bihar: गजब हाल…यहां टॉर्च की रोशनी में हो रहा मरीजों का इलाज, डॉक्टर बोले- ये रोज का है हाल

Bihar: गजब हाल…यहां टॉर्च की रोशनी में हो रहा मरीजों का इलाज, डॉक्टर बोले- ये रोज का है हाल

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Bihar: गजब हाल…यहां टॉर्च की रोशनी में हो रहा मरीजों का इलाज, डॉक्टर बोले- ये रोज का है हाल

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना

द्वारा प्रकाशित: प्रांजुल श्रीवास्तव
अपडेट किया गया शनि, 04 जून 2022 10:46 AM IST

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स्वास्थ्य सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाने के लिए तमाम दावे किए जा रहे हैं। कोरोना लहर के बाद इसमें तेजी भी आई है, ऐसा सरकार का दावा है। हालांकि, बिहार के सासाराम जिले से सामने आई तस्वीरों ने इन दावों की कलई खोल दी है। बिहार में बिजली का आलम तो यह हो गया है कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज टॉर्च की रोशनी में हो रहा है। मरीज तो मरीज डॉक्टर भी इससे परेशान हैं।

सामने आई खबर के मुताबिक, सासाराम जिले के सदर अस्पताल में बिजली आपूर्ति का बुरा हाल है। यहां अक्सर लाइट कट जाती है, जिसके बाद मोबाइल या टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज किया जाता है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने इसकी तस्वीरें भी जारी की हैं।

वहीं सदर अस्पताल के डॉक्टर बृजेश कुमार का कहना है कि यहां कुछ समस्याओं के कारण बार-बार बिजली कटौती होती रहती है। ऐसे में हमें हर दिन बुरी स्थिति से निपटना पड़ता है। मरीजों का इलाज मोबाइल या टॉर्च की रोशनी में करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

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स्वास्थ्य सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाने के लिए तमाम दावे किए जा रहे हैं। कोरोना लहर के बाद इसमें तेजी भी आई है, ऐसा सरकार का दावा है। हालांकि, बिहार के सासाराम जिले से सामने आई तस्वीरों ने इन दावों की कलई खोल दी है। बिहार में बिजली का आलम तो यह हो गया है कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज टॉर्च की रोशनी में हो रहा है। मरीज तो मरीज डॉक्टर भी इससे परेशान हैं।

सामने आई खबर के मुताबिक, सासाराम जिले के सदर अस्पताल में बिजली आपूर्ति का बुरा हाल है। यहां अक्सर लाइट कट जाती है, जिसके बाद मोबाइल या टॉर्च की रोशनी में मरीजों का इलाज किया जाता है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने इसकी तस्वीरें भी जारी की हैं।

वहीं सदर अस्पताल के डॉक्टर बृजेश कुमार का कहना है कि यहां कुछ समस्याओं के कारण बार-बार बिजली कटौती होती रहती है। ऐसे में हमें हर दिन बुरी स्थिति से निपटना पड़ता है। मरीजों का इलाज मोबाइल या टॉर्च की रोशनी में करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

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