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वहीं, जातीय जनगणना को लेकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा है कि जातीय जनगणना की शुरुआत हो गई है। जिसे कास्ट बेस्ड सर्वे का नाम दिया गया। हमारे पास साइंटिफिक डेटा होगा, उसी हिसाब से जरूरी और कल्याणकारी योजनाएं बनेंगी।
जातीय जनगणना पर विपक्ष ने हमला किया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि ये सोचने की बात है, कि 1931 के बाद आजाद भारत के किसी सरकार ने जातीय जनगणना की आवश्यकता क्यों नहीं समझी? मोदी सरकार बनने के बाद मानो जैसे जाति फैक्टर धीरे-धीरे कमजोर होने लगी, लोग विकास की बात करने लगे। तब क्षेत्रीय दलों की जाति आधारित राजनीति खतरे में पड़ गई। वो फिर से समाज को आपस में लड़ाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहती हैं। वहीं, उन्होंने उपजातियां का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें उपजातियों को भी जोड़नी चाहिए।
जातीय जनगणना को लेकर सभी दलों की अपनी-अपनी दलीलें हैं। एक ओर महागठबंधन के नेता इसको विकास से जोड़ कर देख रहे हैं। वहीं, विपक्ष का कहना है कि इससे समाज में दरार पड़ेगी। बिहार के लोगों को इससे कितना लाभ मिलता है, इसके लिए इंतजार करनी होगी।
रिपोर्ट- अमन कुमार
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