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तेजस्वी बढ़ा रहे दोस्ती का हाथ
तेजस्वी यादव ने बोचहां चुनाव परिणाम के बाद करीब-करीब ये तय कर लिया है कि वो सवर्ण वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। भले ही वो पार्टी की पुरानी लाइन से उलट ही क्यों न हो। तेजस्वी को उम्मीद है कि उनका नया समीकरण उन्हें सत्ता तक पहुंचा देगा। इसके लिए मेहनत बस इतनी करनी है कि जहां जाएं वहां A to Z की बात करें। पटना में मंगलवार की परशुराम जयंती में तेजस्वी के इस बयान पर गौर कीजिए। परशुराम जयंती पर तेजस्वी ने भरे मंच से कहा ‘हमारी कोशिश है कि सब भाई साथ चलें और बिहार को भी अन्य राज्यों की तरह विकसित बनाएं। ब्राह्मण-भूमिहार समाज जागरूक है। ज्ञान और शिक्षा का प्रतिबिंब है। देश-प्रदेश में इतनी महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी व्याप्त है। आप लोग भी बीड़ा उठा लीजिए – यकीन मानिए सफलता मिलेगी।’
इस बयान का साफ मतलब है कि तेजस्वी को यादवों के साथ भूमिहारों को एक मंच पर लाने की दिलचस्पी है। तेजस्वी बीजेपी से भड़के इस वोट बैंक को हर हाल में पूरी तरह से अपने पाले में करना चाहते हैं जिससे बोचहां उपचुनाव का परिणाम 2025 के विधानसभा के नतीजों में बदल जाए। लेकिन क्या ये इतना आसान होगा? खैर, अब देखिए कि बीजेपी इस दांव का काट निकालने के लिए क्या कर रही है।
बीजेपी दिखा रही जंगलराज का डर
इस वक्त इस दरके वोट बैंक को लेकर अगर कोई सबसे ज्यादा फजीहत झेल रहा है तो वो बीजेपी के बिहार अध्यक्ष संजय जायसवाल हैं। वो न सिर्फ भूमिहारों के गढ़ में से एक माने जाने वाले मुजफ्फरपुर के चक्कर लगा रहे हैं बल्कि इस वोट बैंक को एक डर भी दिखा रहे हैं। इसी बीच दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान संजय जायसवाल के बयान से इसका उदाहरण भी मिल रहा है। एक न्यूज पोर्टल की खबर के मुताबिक संजय जायसवाल ने कहा कि ‘लालू-राबड़ी राज में ही जहानाबाद में बिहार का सबसे बड़ा जेल ब्रेक कांड हुआ था। यह सब इनलोगों (RJD) के इशारे पर हुआ था। तब जेल ब्रेक कर इस समाज के कैदियों की चुन-चुन कर हत्या की गई थी। इस समाज (भूमिहार समाज) के लोग पुरानी बातों को भूले नहीं है।’
किस तरफ जाएंगे भूमिहार?
अब सवाल ये है कि बिहार के वोट बैंक में 6 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी रखने वाले इस वोट बैंक की गुड बुक में कौन सी पार्टी आएगी? NBT की टीम ने यही सवाल बिहार के कुछ प्रबुद्ध नागरिकों से मुजफ्फरपुर में किया। कुछ लोगों ने कहा कि तेजस्वी आरजेडी की सवर्ण विरोधी छवि को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि एक समय में लालू को भी ब्रह्रर्षि समाज ने मौका दिया था। लेकिन उन्होंने इस समाज के लिए कुछ नहीं किया।
वहीं इस समाज के कुछ लोग बीजेपी से ज्यादा JDU पर भड़के नजर आए। मुजफ्फरपुर शहर के एक युवा ने इस दौरान NBT को कहा कि ‘बिहार में बीजेपी ने भूमिहार वोट बैंक को अपना पिछलग्गू समझ लिया था, लेकिन अब तेजस्वी अगर मौका मांग रहे हैं तो इसे देने में कोई बुराई नहीं है।’ एक वोटर ने ये कहा कि ‘लालू यादव भले ही मुंह पर सवर्णों के विरोध की बात करते थे लेकिन पीठ पीछे वो इस वोट बैंक का साथ भी देते थे। वर्तमान NDA सरकार में ये बिल्कुल नहीं दिख रहा। ऐसे में एक बार तेजस्वी को मौका मिलना चाहिए।’
अब समझिए इशारा
अब ऐसे समझिए कि बिहार में ये वोट बैंक नई अंगड़ाई लेने की तरफ बढ़ रहा है। हालांकि अभी तीन साल का वक्त बाकी है। यहां एक बात पर गौर कीजिएगा कि बिहार में चुनाव के वक्त जाति ही सबकुछ होती है। ये एक ऐसी कड़वी सच्चाई है जिससे कोई इनकार नहीं कर सकता। जातियों को साधना भी बड़ी टेढ़ी खीर ही होती है, ऊपर से अगर कोई जाति किसी पार्टी से भड़क जाए तो मामला बेहद पेचीदा हो जाता है। खैर, 2025 में अभी वक्त है… लेकिन ये भी तय है कि तब तक तो गंगा में बहुत पानी बह जाएगा।
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