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Begusarai News : अब बेगूसराय को मिलेगी राष्ट्रीय फलक पर खास पहचान, जानिए किस प्रकार की होगी तैयारी

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Begusarai News : अब बेगूसराय को मिलेगी राष्ट्रीय फलक पर खास पहचान, जानिए किस प्रकार की होगी तैयारी

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रिपोर्ट. नीरज कुमार

बेगूसराय. बिहार की औद्योगिक नगरी बेगूसराय की ऐतिहासिक विरासत को राष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने की तैयारी चल रही है. इसको लेकर जिले में बेगूसराय महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. हालांकि कब इसका आयोजन होगा.

इसको लेकर कोई स्पष्ट रणनीति या जिला प्रशासन की ओर से कोई नीटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है. लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आजादी के अमृतकाल में इसका आयोजन किया जाएगा. बता दें कि बेगूसराय की समृद्धि, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक आदि उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा. केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री सह सांसद गिरिराज सिंह ने केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी को पत्र लिखा है.

राष्ट्रीय मानचित्र पर प्रतिस्थापित करने की हो रही पहल

बेगूसराय के सांसद सहकेंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के प्रतिनिधि अमरेंद्र अमर ने न्यूज 18 लोकलसे बातचीत करते हुए बताया कि बेगूसराय मिथिला संस्कृति का उत्कृष्ट धार्मिक एवं पर्यटक स्थल है. यहां धार्मिक एवं साहित्यिक धरोहरों के साथ-साथ आंचलिक सांस्कृतिक महत्व के स्थलों को भी राष्ट्रीय मानचित्र पर प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है.

सांसद ने पत्र में सिमरिया के साहित्यिक महत्व को दिनकर के साथ जोड़ते हुए कल्पवास मेला का जिक्र भी किया है. मिथिला संस्कृति का क्षेत्र है और बेगूसराय बिहार के मध्य में गंगा नदी के उत्तरी मैदानी भाग में अवस्थित है. यह भू-भाग गंगा के आंचल में बसा हुआ है. यहां जयमंगला गढ़ में 52 शक्ति पीठों में से एक जयमंगला माता का मंदिर है. जहां सालों पर श्रद्धालु आते रहते हैं.

इन साहित्य और ऐतिहासिक संस्कृति को मिलेगी पहचान

दिनकर की धरती : बेगूसराय को साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की धरती है. इनकी रचनाओं में समाहित वीर रस ने देश खासकर युवा पीढ़ी को एक नई दिशा प्रदान की. इसके अलावा अन्य साहित्यकार व विद्वजनों की भी यह भूमि रही है. ऐसे में यह का कयास लगाए जा रहे हैं कि अब इसे एक राष्ट्रीय स्तर की पहचान मिल पाएगी.

कावर झील :जिले में स्थित कावर झील एशिया के सबसे बड़े झील की श्रेणी में आता है. 2620 हेक्टेयर में फैला हुआ यह झील बिहार का पहला रामसर स्थल है. इसके अलावा भी यहां कई धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है जिसे पहचान मिल पाएगी.

सिमरिया धाम : यहां हर साल कार्तिक माघ पूर्णिमा पर भव्य मेले का आयोजन होता है. कल्पवास के लिए न सिर्फ बिहार बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. इस स्थल को अर्धकुंभ मेले के आयोजन की मान्यता भी प्राप्त है. सिमरिया गंगा तट पर विभिन्न अवसरों पर गंगा स्नान के लिए बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ जुटती है. राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने के बाद यहां पर कायाकल्प भी होने की उम्मीद जगेगी.

औद्योगिक नगरी : उद्योग की बात करें तोनेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान उर्वरक कारखाना के साथ ही रसायन लिमिटेड, इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड, पेप्सी कंपनी आदि की बड़ी इकाइयां स्थापित है.

अमृत महोत्सव वर्ष को भी सफलतापूर्वक संचालित किया है. इसके अलावा भी यहां छोटे बड़े उद्योग पर संस्कृति मंत्रालय स्तर से यहां एवं व्यवसाय काफी तेजी से बढ़ रहा है. देश के पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने वाली एनएच-31 भी यहां से होकर गुजरती है. बिहार का प्रमुख रेलवे जंक्शन बरौनी जंक्शन भी इसी जिले में है.

आपकों बता दें कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की इच्छा है कि बेगूसराय को रामायण एवं सीता सर्किट में शामिल किया जाए. जिससे इसके धार्मिक एवं साहित्यिक महत्व को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुखता से स्थापित किया जा सके.

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