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अभिषेक कुमार
बांका. बिहार के बांका में बीमार पशुओं के इलाज के लिए लोगों को अब पशु डॉक्टरों का इंतजार नहीं करना होगा. पशुपालक अब खुद बीमार पशुओं का प्राथमिक उपचार कर सकेंगे. इसके लिए प्रत्येक गांव में 20-20 युवाओं को कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पहले चरण में 20 आदिवासी गांवों का चयन किया गया है. इसमें से एक बैच का प्रशिक्षण पूरा हो गया है. प्रशिक्षण के बाद सभी को फर्स्ट एड किट दिया गया.
दरअसल, जिले में पशु मृत्युदर में कमी नहीं आने की वजह से पशुपालन के क्षेत्र में किसानों को मुकाम नहीं मिल पा रहा है. इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से गांव के युवाओं को पशुओं के प्राथमिक उपचार के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पशु वैज्ञानिक डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद पशुपालक पशुओं में होने वाली सामान्य बीमारी जैसे सर्दी, बुखार, गैस, भूख नहीं लगना एवं छेरा आदि का इलाज कर सकेंगे. इन बीमारियों के इलाज के लिए उनको फर्स्ट एड किट के साथ-साथ कुछ अन्य जरूरी दवाएं भी दी गई हैं.
सुदूर गांवों में समय पर नहीं पहुंच पाते हैं डॉक्टर
बांका जिले के सुदूर कई गांवों में सूचना मिलने के बाद भी बीमार पशुओं का इलाज करने के लिए समय पर डॉक्टर नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा प्रशिक्षण देने से पशुपालक स्वयं अपने पशुओं का प्राथमिक उपचार कर उसकी बीमारी को बढ़ने से रोक सकेंगे. इसके बाद उसे बेहतर इलाज के लिए स्थानीय पशुपालन अस्पतालों ले जाया जा सकेगा. इससे पशुओं की मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा.
पशु वैज्ञानिक डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि पहले भी कुछ पशुपालकों को प्रशिक्षण दिया गया था. उनमें से बहुत सारे लोग आज अच्छे से काम कर रहे हैं.
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प्रथम प्रकाशित : 14 नवंबर, 2022, दोपहर 3:55 बजे IST
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