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गन्ने की फसलों को पहुंचाया नुकसान
ग्रामीणों के मुताबिक, घटना बीती रात के करीब ढाई से तीन बजे के करीब की है। उस समय किसान अपने घरों में सोए हुए थे। सुबह होने पर जब वे खेतों में पहुंचे तो गन्ने की फसल तहस-नहस हालत में मिली। हाथियों के आतंक मचाने के प्रत्यक्षदर्शी रहे पिछुलिया गांव के किसान महेश मेहता ने बताया कि रात में वे फसल की रखवाली के लिए खेत पर ही झोपड़ी में सोए हुए थे। रात ढाई-तीन बजे के करीब कुछ आवाज से आंख खुली। आवाज की टोह लेते हुए जब वे गन्ने के खेत की ओर गए तो उन्हें चार-पांच हाथी फसल को रौंदते नजर आए।
हाथियों के डर से ग्रामीणों में खौफ
प्रत्यक्षदर्शी किसान ने बताया कि डर से वो गन्ने के खेत से दूर चले गए और वही से चुपचाप हाथियों की करतूत देखते रहे। मतवाले हाथी फसलों को रौंदते रहे और वे डरे सहमे सारा तमाशा देखते रहे। करीब घंटे भर तक हाथी उपद्रव मचाते हुए पिछुलियां से पश्चिम की ओर जंगल-पहाड़ों में चले गए। इस दौरान खेतों की मिट्टी पर हाथियों के पैरों के निशान भी पाए गए हैं। वैसे भी यह इलाका झारखंड से सटा हुआ है और वहां के जंगल में हाथी रहते हैं। पहले भी झारखंड के जंगल से भटक कर हाथी मदनपुर के जंगली इलाकों से होते मैदानी इलाकों में जान माल का नुकसान पहुंचा चुके हैं।
वन विभाग की टीम तक पहुंचा मामला
करीब पांच साल पहले भी झारखंड के जंगलों से आए हाथियों के झुंड ने बादम और पिछुलियां समेत कई गांवों में आतंक मचाया था। उपद्रवी हाथियों ने फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया था। हाथियों ने आधा दर्जन कच्चें घरों को भी ढाह दिया था और कुछ लोगों की जान भी गई थी। पांच साल के बाद एक बार फिर से हाथियों की इसी इलाके में एंट्री हुई है। इससे इलाके के किसान बेहद डरे सहमे है। उस समय वन विभाग की टीम काफी मशक्कत कर हाथियों को झारखंड के जंगलों में खदेड़ पाने में सफलता मिली थी। इस बीच हाथियों के उपद्रव से पीड़ित किसानों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी है। वन विभाग की टीम जंगल में हाथियों को खोजने में जुटी है।
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