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Agnipath Scheme Politics : क्या बीजेपी बिहार में नीतीश से छुटकारा पाना चाहती है?

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Agnipath Scheme Politics : क्या बीजेपी बिहार में नीतीश से छुटकारा पाना चाहती है?

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पटना : बिहार में पिछले चार दिनों से बवाल ही बवाल है। केन्द्र सरकार की सेना में युवाओं को मौका देने की नई भर्ती योजना अग्निपथ ( Agnipath Scheme ) को लेकर भड़का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। बिहार के लगभग सभी जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए और कई ट्रेनों और वहानों को आग के हवाले कर दिया गया। इसके अलावे प्रदर्शनकारियों के निशाने पर बिहार बीजेपी के नेता और दफ्तर रहे। यही कारण है कि अब तक शांत रहे बीजेपी नेता खुलकर नीतीश कुमार ( Bihar CM Nitish Kumar ) के खिलाफ बोलने लगे हैं। बिहार बीजेपी के मुखिया संजय जायसवाल ( Bihar BJP President Sanjay Jaisawal ) ने तो यहां तक कह दिया कि बिहार में बीजेपी को टारगेट किया जा रहा है और पूरे प्रकरण में पुलिस-प्रशासन मौन है। तो क्या मान लिया जाए कि बीजेपी ‘अग्निपथ’ को मुद्दा बनाकर नीतीश से छुटकारा पाना चाहती है?

संजय जायसवाल ने ‘पुलिस-प्रशासन’ शब्द का प्रयोग किया है। नीतीश कुमार का एक बार भी नाम नहीं लिया। दरअसल, बिहार के मुखिया यानी सीएम नीतीश कुमार हैं। नीतीश कुमार के पास गृह विभाग है। ऐसे में ‘पुलिस-प्रशासन’ को आदेश देने का अधिकार नीतीश कुमार के पास है। तो साफ है संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार का नाम लिए बिना ही नीतीश कुमार को टारगेट किया। साफ-साफ तो नहीं, लेकिन संकेत देकर ही बता दिया कि पिछले चार दिन से बिहार में जो कुछ भी हो रहा है, उसमें पुलिस-प्रशासन का मौन सहमति है।
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प्रशासन की भूमिका अच्छी नहीं
बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार में सुनियोजित ढंग से केंद्र की श्रेष्ठ योजना को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। युवाओं को बरगलाया जा रहा है। अफवाह उड़ाया जा रहा कि सेना में नौकरियों को कम किया जा रहा, ये सब बिल्कुल झूठ है। संजय जायसवाल ने कहा कि खास एजेंडे के तहत बिहार को तबाह करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में चार दिनों से जारी हंगामे के दौरान प्रशासन की भूमिका अच्छी नहीं रही। कहीं लाठीचार्ज नहीं किया गया। कहीं भी आंसू गैस नहीं चलाए गए। पुलिस-प्रशासन एक्टिव नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक खास पार्टी के दफ्तर को जलाया गया और प्रशासन मौन रही। उन्होंने कहा कि मधेपुरा में बीजेपी कार्यालय को जलाया गया और 300 पुलिसकर्मी मूकदर्शक बनकर देखते रहे। इस तरह जो बिहार में हो रहा है, वह पूरे देश में कहीं नहीं हो रहा।
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उग्र प्रदर्शनकारियों पर नरम रवैया अपना रही सरकार!
संजय जायसवाल के आरोप के बाद सवाल उठता है कि क्या उग्र प्रदर्शनकारियों पर बिहार सकार नरम रवैया अपना रही है? शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों ने बिहार के उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के घर पर हमला हुआ था। प्रदर्शनकारियों ने जम कर उत्पात मचाया था। इस घटना के बाद पत्रकारों से बात करते हुए रेणु देवी ने कहा था कि बिहार सरकार उग्र प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नरम रवैया अपना रही है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि प्रदर्शनकारियों के घरों पर भी बुलडोजर चलाया जाना चाहिए।
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‘अग्निपथ’ पर बिहार एनडीए में दरार!
पहले रेणु देवी का बिहार सरकार पर हमला, अब संजय जायसवाल का पुलिस-प्रशासन पर सवाल उठाना। इससे साफ है कि बिहार एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं है। अग्निपथ के मुद्दे पर गठबंधन में दरार है। जेडीयू इस मुद्दे पर केन्द्र से फिर से विचार करने को कहा है। वहीं, बीजेपी खुलकर समर्थन कर रही है। जबकि जीतन राम मांझी की हम ने तो शनिवार को बुलाए गए बिहार बंद का नैतिक समर्थन भी किया था। यानी सत्ताधारी तीनों दल के अपने-अपने विचार है। होना भी चाहिए लेकिन सबसे अधिक कोई बेचैन हो तो वो है बीजेपी। क्योंकि अग्निपथ की आग से सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को ही हुआ है। तीन-तीन विधायकों पर हमले हुए। दफ्तर में आग लगाए गए। संजय जायसवाल और रेणु देवी के घर पर हमला हुआ। इन सब के बीच अभी तक बिहार के मुखिया नीतीश कुमार चुप हैं।
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नीतीश चुप क्यों हैं?
अब सवाल उठता है कि पिछले चार दिनों से बिहार जल रहा है। आरोप लग रहा है कि पूरे प्रकरण में पुलिस-प्रशासन मौन है। तीन दिन के बाद कार्रवाई के नाम पर 15 जिलों में इनटरनेट सेवा सस्पेंड कर दिया गया और दो जिलों में धारा 144 लगा दी गई। बावजूद इसके अभी नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर एक ट्वीट भी नहीं किया। यहां तक कि दो दिन पहले नीतीश कुमार के ‘खास’ दोस्त सुशील मोदी ने भी नीतीश को सलाह दी थी कि अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी अग्निवीरों को नौकरी में ‘आरक्षण’ दिया जाए।
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तो बीजेपी नीतीश से छुटकारा पाना चाहती है?
नीतीश की चुप्पी, जेडीयू नेताओं का अग्निपथ का खुलकर विरोध करना और बीजेपी नेताओं का पुलिस-प्रशासन के बहाने बिहार के मुखिया पर सीधा हमला करना, क्या समझा जाए। क्या बीजेपी अग्निपथ को मुद्दा बनाकर नीतीश कुमार से बिहार में छुटकारा पाना चाहती है। या बिहार बीजेपी के नेता जनता के बीच ये संदेश देना चाहते हैं कि नीतीश कुमार में ‘वो’ वाली बात अब नहीं रही है, जिसके लिए वे जाने जाते हैं। खैर ये तो एनडीए की अंदरूनी राजनीति है, देखते रहिए आगे-आगे होता क्या है।

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