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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक प्रमुख राजनीतिक सहयोगी ने गुरुवार को कहा कि केंद्र की ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध सेना के युवा उम्मीदवारों द्वारा नाराजगी की एक ‘सहज’ अभिव्यक्ति प्रतीत होती है।
जद (यू) संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हिंसा ‘निंदनीय’ है लेकिन ‘शांति के लिए अपील करने के अलावा हम बहुत कुछ कर सकते हैं।
योजना पर पुनर्विचार का किया आग्रह
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुशवाहा ने कहा, ‘हमें उन गुस्से वाले विरोधों के बारे में पता चला है जो स्वत:स्फूर्त प्रतीत होते हैं।’ उन्होंने कहा कि इस तरह के कड़े विरोध के बीच जद (यू) ने केंद्र से इस योजना पर ‘पुनर्विचार’ करने का आग्रह किया है जिसमें सशस्त्र बलों में संविदात्मक रोजगार और पेंशन लाभ के बिना चार साल की सेवा के बाद जवानों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रस्ताव है।
कुशवाहा ने कहा, ‘यदि पुनर्विचार संभव नहीं है तो कम से कम कुछ समय के लिए इसके कार्यान्वयन को रोक दिया जाना चाहिए।’ बता दें कि इस टूर ऑफ ड्यूटी का अनावरण रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इसी सप्ताह के शुरुआत में किया था।
जदयू को करना पड़ रहा आलोचना का सामना
जद (यू) भाजपा का सबसे बड़ा गठबंधन सहयोगी है। जिसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाई गई ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
सुशील मोदी जैसे भाजपा नेताओं के भिन्न विचार
बिहार में कुशवाहा द्वारा व्यक्त किए गए विचार सुशील कुमार मोदी जैसे भाजपा नेताओं से भिन्न हैं जिन्होंने आरोप लगाया है कि ‘असामाजिक तत्व’ प्रदर्शनकारियों के रूप में छिपे हुए थे।
बिहार के एक अन्य भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने युवाओं से ‘उकसाने वालों से सावधान’ रहने की अपील की है।
दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे ने जद (यू) को कुमार के कट्टर विरोधी चिराग पासवान को एक पेज पर ला दिया है जिन्होंने रक्षामंत्री को पत्र लिखकर योजना पर पुनर्विचार का अनुरोध किया है।
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