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‘अग्निपथ योजना’ को लेकर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। योजना के विरोध में शनिवार को चौथे दिन एक रेलवे स्टेशन और एक पुलिस वाहन को आग के हवाले कर दिया गया। वहीं पथराव की घटनाओं में कई कानून लागू करने वाले भी घायल हो गए। सशस्त्र बलों में अल्पकालिक भर्ती योजना के खिलाफ शनिवार को बंद का आह्वान किया गया था।
पटना में बंद समर्थकों को पुलिस ने जबरन दुकानें बंद करने से रोका। हालांकि उन्होंने सड़कों पर पुश-अप कर और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर पथराव कर भगदड़ मचाकर अपना विरोध दर्ज कराया। जिले के मसौरी अनुंडल के तारेगाना रेलवे स्टेशन के बाहरी इलाके में बंद समर्थकों ने आग लगा दी और जीआरपी की एक जीप को आग के हवाले कर दिया। बंद समर्थकों ने जीआरपी कर्मियों की फायरिंग के जवाब में भारी पथराव किया और घटना को कवर करने वाले पत्रकारों की भी पिटाई की।
पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) के आरपीएफ डीआईजी एस. मयंक ने संवाददाताओं को बताया, “पुलिस और आरपीएफ को मसौरी में तैनात किया गया है। हमें अभी तक वहां हिंसा में किसी के घायल होने की कोई सूचना नहीं मिली है।”
दानापुर अनुमंडल में बंद समर्थकों ने एक एम्बुलेंस में तोड़फोड़ की। एम्बुलेंस चालक ने आरोप लगाया कि भीड़ ने एक मरीज और उसके परिचितों को भी पीटा।
वहीं राज्य के पुलिस प्रमुख डीजीपी एस.के. सिंघल ने पटना जंक्शन का दौरा किया और वहां सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया। हाजीपुलिस के ईसीआर मुख्लाय ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए 32 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है।
ईसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेंद्र कुमार ने कहा, “यात्रियों और रेलवे संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य क्षेत्रों में जाने वाली ट्रेनों को शनिवार को रात आठ बजे के बाद ही ईसीआर के जरिए चलाया जाएगा और रविवार की सुबह 4 चार बजे तक चलेंगी।
पिछले तीन दिनों में विरोध प्रदर्शन के दौरान राज्य में रेलवे को भारी नुकसान हुआ है। सशस्त्र बलों में नई भर्ती प्रणाली के विरोध में भीड़ ने शुरुआती विरोध में 60 से ज्यादा ट्रेन के डिब्बों, 10 इंजनों और कुछ स्टेशनों को आग लगा दी। ‘अग्निपथ योजना’ के तहत 75 फीसदी जवा चार साल की सेवा के बिना पेंशन लाभ के सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
इससे पहले बंद समर्थकों ने जहानाबाद जिले में एख पुलिस चौकी पर हमला किया जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। मुंगेर में दुकानें खुली रहीं। हालांकि बंद समर्थकों ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बीच सड़कों पर टायर जलाए।
गुरुवार को भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं पर शारीरिक हमले के बाद पार्टी के राज्य मुख्यालय के सामने भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। प्रदर्शनकारियों इससे पहले भाजपा तीन जिलों के कार्यालयों को आग के हवाले कर चुके हैं।
बिहार विधानसभा में पार्टी के नेता और उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा, “हम कह सकते हैं कि बंद का सामान्य जनजीवन पर नगण्य असर पड़ा है। छिटपुट घटनाओं को छोड़कर राज्यभर में शांति कायम है।”
बीते कुछ दिनों में व्यापक हिंसा के बाद राज्य के 12 जिलों में इंटरनेट सेवाओं को रोक दिया गया है। गृह विभाग ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि ये प्रतिबंध कम से कम तीन दिनों तक के लिए प्रभावी रहेंगे। एहतियात के तौर पर कई शहरों में निषेधाज्ञा भी लगा दी गई है।
बंद को सभी विपक्षी दलों राजद, कांग्रेस, वामपंथी पार्टियों और आम आदमी पार्टी का सैद्धांतिक समर्थन मिला है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा ने भी दिनभर के बंद को नैतिक समर्थक दिया है।
भाजपा ने हिंसा के लिए राजनीति में मजबूत रणनीति के लिए जाने जाने वाली राजद को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जद (यू) ने योजना की समीक्षा की मांग की है और केंद्र सरकार से प्रदर्शनकारियों के डर को दूर करने का आग्रह किया है। जदयू केंद्र और राज्य में भाजपा की सहयोगी पार्टी है।
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