Home Bihar 30 दिसंबर तक आवेदन: BPSC पीटी में अब चार गलत उत्तर पर एक अंक कटेंगे, मुख्य परीक्षा में 300 अंकों का निबंध

30 दिसंबर तक आवेदन: BPSC पीटी में अब चार गलत उत्तर पर एक अंक कटेंगे, मुख्य परीक्षा में 300 अंकों का निबंध

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30 दिसंबर तक आवेदन: BPSC पीटी में अब चार गलत उत्तर पर एक अंक कटेंगे, मुख्य परीक्षा में 300 अंकों का निबंध

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बीपीएससी ने लंबे समय बाद पैटर्न में किया बदलाव।

बीपीएससी ने लंबे समय बाद पैटर्न में किया बदलाव।
– फोटो : अमर उजाला

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बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने 68वीं परीक्षा के लिए आवेदन की तारीख 20 दिसंबर से बढ़ाकर 30 दिसंबर करते हुए इसी बार से परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव किया है। अब प्राथमिक परीक्षा में चार गलत उत्तर पर एक अंक कटेंगे। अबतक निगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं होने के कारण परीक्षार्थी अंदाजन जवाब भी देते थे। निगेटिव मार्किंग सभी 150 प्रश्नों पर लागू रहेगा। वैकल्पिक विषय में 100 अंकों का MCQ रहेगा। मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय की जगह 300 अंकों की निबंध परीक्षा होगी। बीपीएससी के सचिव अमरेंद्र कुमार की ओर से जारी अधिसूचना में किए बदलावा का उन छात्र संगठनों ने स्वागत किया है, जो पिछले दो महीने से लगातार बीपीएससी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि, छात्र संगठनों ने परीक्षा पैटर्न को लेकर एक बड़ी मांग की है कि उत्तरों में से ‘E’ का विकल्प हटा दिया जाए। परीक्षार्थियों का कहना है कि इसमें दो विकल्प हो जाते हैं- चारों जवाब सही हैं और चारों में से कोई सही नहीं है।

3-3 घंटे की पांच परीक्षाएं
पैटर्न में बदलाव के बाद अब परीक्षा कुछ इस तरह होगी कि तीन-तीन घंटे के पांच पेपर होंगे। सामान्य हिंदी और वैकल्पिक विषय 100 नंबर का होगा, इसमें भी तीन-तीन घंटे का समय मिलेगा। यह परीक्षाएं पास करने के लिए है, मेरिट निर्धारण के लिए तीन विषय हैं। इनमें सामान्य अध्ययन पत्र 1 और 2 के लिए भी तीन घंटे का समय रहेगा, जबकि 300-300 पूर्णांक रहेंगे। निबंध की परीक्षा में भी तीन घंटे का ही समय रहेगा और अंक 300 रहेंगे। सामान्य अध्ययन के दोनों पेपर और निबंध में प्राप्त अंकों के आधार पर ही मुख्य परीक्षा की मेरिट लिस्ट तैयार होगी।

उत्तीर्ण होने का गणित समझिए
सामान्य हिंदी के अंकों की गणना मेरिट निर्धारण में नहीं होगी, हालांकि 30 प्रतिशत अंक लाना जरूरी होगा। वैकल्पिक विषय के अंकों की भी गणना मेरिट निर्धारण में नहीं होगी, लेकिन इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना जरूरी है। इसमें उत्तीर्ण होने के लिए वर्गवार न्यूनतम अनिवार्य प्राप्तांक अलग-अलग होंगे। सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत में उत्तीर्ण माना जाएगा, जबकि पिछड़ा वर्ग को 36.5%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 34%, एसएसी-एसटी, महिला या दिव्यांग को 32% अंक पर उत्तीर्ण माना जाएगा।

विस्तार

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने 68वीं परीक्षा के लिए आवेदन की तारीख 20 दिसंबर से बढ़ाकर 30 दिसंबर करते हुए इसी बार से परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव किया है। अब प्राथमिक परीक्षा में चार गलत उत्तर पर एक अंक कटेंगे। अबतक निगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं होने के कारण परीक्षार्थी अंदाजन जवाब भी देते थे। निगेटिव मार्किंग सभी 150 प्रश्नों पर लागू रहेगा। वैकल्पिक विषय में 100 अंकों का MCQ रहेगा। मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय की जगह 300 अंकों की निबंध परीक्षा होगी। बीपीएससी के सचिव अमरेंद्र कुमार की ओर से जारी अधिसूचना में किए बदलावा का उन छात्र संगठनों ने स्वागत किया है, जो पिछले दो महीने से लगातार बीपीएससी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि, छात्र संगठनों ने परीक्षा पैटर्न को लेकर एक बड़ी मांग की है कि उत्तरों में से ‘E’ का विकल्प हटा दिया जाए। परीक्षार्थियों का कहना है कि इसमें दो विकल्प हो जाते हैं- चारों जवाब सही हैं और चारों में से कोई सही नहीं है।

3-3 घंटे की पांच परीक्षाएं

पैटर्न में बदलाव के बाद अब परीक्षा कुछ इस तरह होगी कि तीन-तीन घंटे के पांच पेपर होंगे। सामान्य हिंदी और वैकल्पिक विषय 100 नंबर का होगा, इसमें भी तीन-तीन घंटे का समय मिलेगा। यह परीक्षाएं पास करने के लिए है, मेरिट निर्धारण के लिए तीन विषय हैं। इनमें सामान्य अध्ययन पत्र 1 और 2 के लिए भी तीन घंटे का समय रहेगा, जबकि 300-300 पूर्णांक रहेंगे। निबंध की परीक्षा में भी तीन घंटे का ही समय रहेगा और अंक 300 रहेंगे। सामान्य अध्ययन के दोनों पेपर और निबंध में प्राप्त अंकों के आधार पर ही मुख्य परीक्षा की मेरिट लिस्ट तैयार होगी।

उत्तीर्ण होने का गणित समझिए

सामान्य हिंदी के अंकों की गणना मेरिट निर्धारण में नहीं होगी, हालांकि 30 प्रतिशत अंक लाना जरूरी होगा। वैकल्पिक विषय के अंकों की भी गणना मेरिट निर्धारण में नहीं होगी, लेकिन इस परीक्षा में उत्तीर्ण होना जरूरी है। इसमें उत्तीर्ण होने के लिए वर्गवार न्यूनतम अनिवार्य प्राप्तांक अलग-अलग होंगे। सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत में उत्तीर्ण माना जाएगा, जबकि पिछड़ा वर्ग को 36.5%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 34%, एसएसी-एसटी, महिला या दिव्यांग को 32% अंक पर उत्तीर्ण माना जाएगा।



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