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‘मजबूत प्रधानमंत्री चाहिए’
उन्होंने कहा कि लोगों को मजबूत प्रधानमत्री चाहिए। लोगों को मालूम है कि जिस दिन प्रधानमंत्री कमजोर हुआ। उस दिन चीन और पाकिस्तान भारत के सीने पर चढ़कर तांडव करने लगेंगे। इसलिए मजबूत प्रधानमंत्री चाहिए, जो मुकाबला कर सके सारी चीजों का। देश को देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल नहीं चाहिए। सुशील मोदी ने आप नेता संजय सिंह से सवाल करते हुए कहा कि क्या संजय सिंह ये दावा करेंगे, अभी-अभी उनके मुख्यमंत्री गए कि पंजाब में अडानी को नहीं आने देंगे। ये लोग रोज लोकसभा में अडानी को गाली देते हैं। अभी अशोक गहलोत ने राजस्थान के अंदर अडानी का स्वागत किया और अडानी का हजारों करोड़ का निवेश हुआ। संजय सिंह कह दें कि जब तक हमारी सरकार रहेगी, हम अडानी और अंबानी को पंजाब में घुसने नहीं देंगे। अरे, अगर अडानी अंबानी ने गलत निवेश किया तो उस मुद्दे को उठाइए।
महंगाई पर कंट्रोल
सुशील मोदी ने देश की बाकी पार्टियों के स्टैंड पर तंज कसते हुए कहा कि एक जमाने में टाटा बिरला को गाली दी जाती थी। आज अंडानी, अंबानी को गाली दी जा रही है। ये किसने कहा कि महंगाई नहीं है। लेकिन महंगाई का मुकाबला किया और महंगाई को नियंत्रित किया। अमेरिका में मुद्रा स्फीती दस प्रतिशत पहुंच गया। यूरोपियन यूनियन ने जो किया महंगाई के अंदर मैं उसकी बात कर रहा हूं।
‘विपक्षी एकता में बिखराव’
सुशील मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 में विपक्षी एकता के बिखरने की बात कही। उन्होंने कहा विपक्षी एकता के इस देश में तीन प्रयोग हुए हैं। 1971 में इंदिरा के खिलाफ ग्रेंड एलांयस बना था। जो पूरी तरह से फेल कर गया। उसमें जनसंघ भी शामिल था। इंदिरा गांधी इतनी ताकतवर थीं, गरीबों के लिए काम किया। उन्होंने नारा दिया, आप कहते हैं इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ। इंदिरा गांधी ने व विपक्ष की एकता को ध्वस्त कर दिया। दूसरा प्रयोग हुआ 1977 में जब लोकनायक जय प्रकाश नारायण जैसा एक व्यक्ति उभरकर आता है। विपक्षी दलों को एकजुट करता है। इंदिरा गांधी की सत्ता को हिला देता है।
‘विपक्षी एकता सफल नहीं’
सुशील मोदी ने कहा कि तीसरा प्रयोग हुआ 1989 में बीपी सिंह के नेतृत्व में। तो मैं विपक्ष से जानना चाहता हूं, कोई है जय प्रकाश नारायण, कह दे कि मैं प्रधानमंत्री का देवादर नहीं हूं। मैं राजनीति में नहीं रहूंगा और मैं केवल विपक्ष को एक करूंगा, तो शायद कुछ सफलता मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष को एक करने के लिए जेपी जैसा व्यक्तित्व चाहिए। बीपी सिंह जैसा व्यक्तित्व चाहिए, तब जाकर विपक्ष की एकता कुछ काम आ सकती है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक मंच पर आ सकते हैं क्या ? ममता बनर्जी और कांग्रेस एक हो सकते हैं क्या?
‘थर्ड फ्रंट महज सपना’
उन्होंने साफ कहा कि राज्यसभा में कुछ समय के लिए एकता हो सकती है। लेकिन क्या उनकी लोकल यूनिट स्वीकार करेगी। कांग्रेस और सीपीएम एक साथ आ सकती है क्या?बंगाल में सीपीएम कह रही है कि बीजेपी कांग्रेस की बी टीम है। कांग्रेस कह रही है कि सीपीएम बीजेपी की बी टीम है। क्या ये विपक्षी दल एक साथ आ सकते हैं। इस चुनाव में नहीं आ सकते हैं ये मैं दावा कर सकता हूं।
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