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एक साथ तीन दल हुए सक्रिय
राजनीतिक जानकारों की मानें, तो तीन राष्ट्रीय दलों के नेताओं की यात्राओं का उद्देश्य अपने पक्ष में माहौल बनाना है। इसके अलावा बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर वोटरों को साधने की कवायद की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। जो नंबर गेम के लिए काफी जरूरी हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जहां पार्टी की संगठनात्मक मशीनरी को मजबूत करने के लिए राज्य के एक दिवसीय दौरे पर मंगलवार को यहां पहुंच रहे हैं, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार पांच जनवरी को अपनी ‘विकास यात्रा’ शुरू करेंगे। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नड्डा का यह पहला दौरा है।
कांग्रेस भी मैदान में
दूसरी ओर, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 5 जनवरी को बांका जिले के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मंदार पहाड़ी से पार्टी नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के तहत राज्य इकाई की चरणबद्ध पदयात्रा की शुरुआत करेंगे। पौराणिक रूप से, मंदार पहाड़ी वह स्थान है जहां अमृत मंथन हुआ था। बिहार कांग्रेस के पुरुष और महिलाएं 5 जनवरी से 10 जनवरी तक 100 किमी से थोड़ा अधिक की दूरी तय करते हुए बांका, भागलपुर और खगड़िया जिलों को कवर करेंगे। नड्डा मंगलवार को ही पार्टी के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ पार्टी मुख्यालय में संवाद बैठक करेंगे और बाद में वैशाली जिले के गोरौल में जनसभा को संबोधित करेंगे। नड्डा के दौरे के बाद भाजपा के कई अन्य नेता विभिन्न संसदीय क्षेत्रों में जनसभाओं को संबोधित करेंगे।
बीजेपी की तैयारी शुरू
भाजपा पहले ही बिहार में 40 में से अधिकांश सीटें जीतने की घोषणा कर चुकी है, जिनमें से 17 उसकी अपनी है। 16 जद (यू) के साथ, छह लोक जनशक्ति पार्टी के दो गुटों के साथ और कांग्रेस के पास एक सीट है। पदाधिकारियों के साथ नड्डा की बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि राज्य इकाई को हाल ही में एक बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था जब उसके उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता राजीव रंजन ने सरकार की शराबबंदी नीति पर राज्य नेतृत्व की लाइन के साथ अपने मतभेदों के कारण पार्टी छोड़ दी थी। नीतीश ने अपनी सरकार द्वारा जिला स्तर पर किए गए कार्यों की समीक्षा करने और अधिकारियों को निर्देश जारी करने के लिए पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकिनगर से विकास यात्रा का ऐलान किया है।
कांग्रेस-जेडीयू की पकी खिचड़ी
आपको बता दें कि जब जेडीयू नीतीश कुमार को पीएम के रूप में कर रही है, तो नीतीश ने कहा है कि वह बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ विपक्षी एकता बनाने के लिए सक्रिय होंगे और उन्होंने आरएसएस पर भी हमला करना शुरू कर दिया है। हाल में मुख्यमंत्री ने अपने एक बयान में खुद को पीएम की दौड़ से दूर बताते हुए कांग्रेस पर छोड़ दिया है कि वे पीएम पद की उम्मीदवारी तय करेंगे। उसके बाद कहा जा रहा है कि कांग्रेस और नीतीश कुमार में एक अलग तरह की खिचड़ी पक रही है, जिसमें तेजस्वी यादव शामिल नहीं हैं। सियासी जानकारों की मानें, तो नीतीश का कोई ठिकाना नहीं है। वे अपनी महत्वाकांक्षा को लेकर काफी सक्रिय रहते हैं, वे कभी भी तेजस्वी को पीछे छोड़कर कांग्रेस से अपनी सांठ-गांठ बढ़ा सकते हैं।
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