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शिल्प कारीगरी काफी खूबसूरत, महानगरों से भी होती है मांग
गबरियल और रेविका के हाथों बांस से बनाई गई शिल्प कारीगरी इतनी खूबसूरत है कि इसकी मांग महानगरों तक में हो रही है। गबरियल हांसदा साक्षर हैं। शुरू में वे बांस से टोकरी डाला और सूप बनाते थे। अब वे घर में ही बांस से सिंगार बॉक्स, हेयर क्लिप, कान की बाली और पेंटिंग बॉक्स सहित अन्य सामान बनाने लगे।
साल भर में 1.80 लाख की कमाई, प्रशिक्षण देने का जिम्मा मिला
गबरियल हांसदा ने बताया कि प्रारंभ में बाजार नहीं मिल पाने से मेहनत के अनुसार आमदनी नहीं हो पा रही थी। उन्होंने बताया कि कुछ साल पहले जीविका के एक कर्मचारी ने बांस के सामान को देखा। उसके बाद दंपती को अपने साथ जीविका कार्यालय लेकर पहुंचा। जहां दंपती की ओर से बनाए उत्पाद को जीविका के अधिकारियों ने काफी पसंद किया। इसके बाद गबरियल को बतौर प्रशिक्षण जीविका से जोड़ा गया। अब गबरियल हांसदा वेणु शिल्प जीविका उत्पादन समूह का सदस्य है। जबकि उनकी पत्नी रेविका जीविका के आशा ग्रुप की सदस्य है। दंपती ने बताया कि जीविका में जुड़ने के बाद काफी अच्छा अनुभव रहा। स्वरोजगार के लिए प्रारंभ में दोनों की ओर से 20 हजार रुपये का कर्ज लिया गया। कुछ ही महीने में कर्ज को वापस कर दिया गया। अब हस्तशिल्प से हर महीने 15 हजार रुपये आमदनी हो जाती है। साल में एक लाख 80 हजार रुपए की कमाई हो जाती है।
ससुराल में बांस से बने सामान की कारीगरी सीखी
गबरियल हांसदा साक्षर हैं। शुरू में वे बांस से टोकरी डाला और सूप बनाते थे। लेकिन बरसात में काम बंद रहता था। इनकी शादी बंगाल के पश्चिम बंगाल के मालदा जिला की रेविका ट्डू से हुई। शादी के बाद गबरियल अपने ससुराल में बांस से बने सामान की कारीगरी सीखी। फिर अपने घर में ही बांस से सिंगार बॉक्स, हेयर क्लिप, कान की बाली, पेंटिंग बॉक्स सहित अन्य सामान बनाने लगे।
कई स्थानों पर प्रदर्शनी लगाई, महानगरों से मिलता है ऑर्डर
गबरियल हांसदा और रेविका टुडू की ओर से विभिन्न जिलों में आयोजित सरल मेला भी प्रदर्शनी लगाई जा चुकी है। अब उन्हें दिल्ली-मुंबई समेत अन्य महानगरों से भी फोन पर ऑर्डर मिल जाता है। पटना में आयोजित सरस मेला के अलावा पूर्णिया और कटिहार के विभिन्न स्थानों पर आयोजित मेले में भी दोनों के उत्पाद की अच्छी बिक्री हुई।
रिपोर्ट-मो0 असदुर रहमान
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