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सार
सीमा के स्कूल के शिक्षक आदि भी उसके जज्बे की तारीफ करते हैं। वे बताते हैं कि दिव्यांग होने के बावजूद भी सीमा एक पैर के सहारे ही पगडंडियों से स्कूल आती हैं।
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विस्तार
मेहनत और दृढ़संकल्प दो ऐसी चीजे हैं जिसका कोई विकल्प नहीं होता है। इसका पालन कर के किसी भी मंजिल को पाया जा सकता है। ऐसे कई उदाहरण हमारे देश और दुनिया में समय-समय पर देखने को मिलते रहते हैं। तमाम तरह की समस्या के होते हुए भी ऐसे लोग अपने सपनों को पूरा कर ही लेते हैं। ऐसी ही एक कहानी सामने आई है बिहार के जमुई जिले से। दस साल की दिव्यांग छात्रा सीमा अपनी मेहनत से चर्चा में है। आइए जानते हैं कौन है सीमा और क्यो लोग इनसे ले रहे हैं प्रेरणा।
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