
[ad_1]
भोजपुरी का स्वर्ण युग
भोजपुरी का स्वर्ण युग
भोजपुरी गानों का एक समय स्वर्णिम काल रहा। विधवा विवाह की कहानी पर 1963 में बनी भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढइबो’बनी थी। इस फिल्म को भोजपुरी का पहला फिल्म होने का गौरव हासिल है। इसमें चित्रगुप्त ने संगीत दिया था और स्व. लता जी और मोहम्द रफी ने स्वर दिया था। शैलेंद्र का संगीत था। 1982 में ‘नदिया के पार’ ने भी आपार सफलता हासिल की। इस फिल्म के साथ गानों में मिठास और चुहूलबाजी पोर-पोर में भरी थी। फिल्म में कुत्सित और कुतार्किक गाने नहीं थे। फिल्म को लोगों ने पसंद किया। ‘नदिया के पार’ के बाद भोजपुरी फिल्मों और गानों पर काम होना बंद हो गया। अब तो बने बनाये ट्रैक पर भोजपुरी के अश्लील शब्दों को सजाकर उसे संगीत का रूप दिया जाता है। ऐसे गाने बनते हैं जिसे महिलाएं सुनने से पहले अपना कान ढंक लेती हैं। सार्वजनिक जगहों पर ऐसे गाने बजाये नहीं जा सकते। ये अश्लील गाने लोगों के कानों में पिघले शीशे की तरह जाते हैं। लोग इन गानों से परेशान हैं।
बिहार सरकार का आदेश
भोजपुरी में अश्लील गानों की इस समस्या को देखते हुए प्रशासन ने अब सख्त कदम उठाने शुरू कर दिये हैं। भोजपुरी के अश्लील गीतों से हर कोई परेशान है। सभ्य समाज को तो भोजपुरी गीतों की धुन सुनना भी स्वीकार नहीं है। भोजपुरी गीतों से समाज दूषित होता जा रहा है। इन अश्लील गीतों का सभ्य समाज पर कितना असर पड़ा है, यह किसी से छुपा नहीं है। बहुत सारे लोग काफी समय से भोजपुरी के अश्लील गीतों पर रोक लगाने की मांग करते रहे है। लोग ऐसे गीतों को लिखने वाले एवं सिंगर के साथ ही कंपोजर के खिलाफ कड़ा कानून बनाकर कार्रवाई की मांग जोरदार तरीके से करते आ रहे है। हालांकि राज्य सरकार इन अश्लील गीतों को लेकर कभी गंभीर नही रही है। जब इन गीतों से समाज में तनाव उत्पन्न हुआ है और बड़ी घटनाएं घटी हैं। तब राज्य सरकार की नींद खुली है। अब विशेष शाखा के पुलिस अधीक्षक द्वारा सूबे के सभी डीएम एवं एसपी को पत्र भेजकर इन अश्लील भोजपुरी गीतों के कारण उत्पन्न समस्या से अवगत कराकर इससे निबटने के लिए कहा है।
गीतों से महिलाओं का अपमान
विशेष शाखा के एसपी ने 15 फरवरी 23 को जिलों को पत्र जारी किया है। पत्र में एसपी ने कहा है कि इन अश्लील भोजपुरी गीतों के माध्यम से गायकों के द्वारा महिलाओं का अपमान किया जाता है। गीतों के संवाद द्विअर्थी होते है। जाति विशेष का जिक्र कर भी उन्हें अपमानित किया जाता है। विशेष शाखा के एसपी को अब पता चला है कि कुछ गायकों द्वारा भोजपुरी गीतों से अनुसूचित जाति की गरिमा को भी ठेस पहुंचाया जाता है। ऐसे गायक अपने गीतों के माध्यम से किसी जाति का महिमामंडन करते है, तो किसी जाति को नीचा दिखाते है। इस तरह के गीतों से सामाजिक सद्भाव भी बिगड़ने की संभावना बनी रहती है।
भोजपुर और सिवान में अधिक प्रचलन
विशेष शाखा के एसपी की माने, तो भोजपुरी अश्लील गीतों का सबसे अधिक प्रचलन भोजपुर एवं सिवान जिले में अधिक है। वैसे इसका प्रचलन बढ़ते जा रहा है। उन्होंने डीएम एवं एसपी को आगामी पर्व के साथ ही महाशिवरात्रि के अवसर पर ऐसे भोजपुरी गीतों को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी है। उन्होंने माना है कि अश्लील गीतों को लेकर सभ्य समाज की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है। विशेष शाखा के एसपी ने ऐसे गानों एवं सोशल मीडिया पर अपलोड करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।
[ad_2]
Source link