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देश की सर्वोच्च संगठन मानवाधिकार आयोग के कोर ग्रुप में भागीदारी मिलने से नसीमा काफी खुश है। वह बताती हैं कि वंचित समाज के हक की लड़ाई में उन्हें मदद मिलेगी और वंचितों को भी समय पर व आसानी से उनका हक व अधिकार मिल सकेगा। यानी वंचितों की आवाज देश के सबसे बड़े न्यायिक फोरम स्तर पर मजबूती के साथ उठेगी और उसका निदान भी होगा। हालांकि यह तभी संभव है, जब हर वर्ग का अपेक्षित सहयोग मिलेगा।
नसीमा ने कहा कि बिहार के 38 जिलों में रेड लाइट एरिया है। कहीं बड़े तो कहीं छोटे रूप में। वह रेड लाइट एरिया की बेटी है। यहां जन्म ली, पढ़ी और पिछले दो दशक से रेड लाइट एरिया के लोगों को संवैधानिक अधिकार दिलाने, यहां की बेटियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए पहल कर रही है।
सीतामढ़ी रेड लाइट एरिया जन्मभूमि
गौरतलब है कि सीतामढ़ी रेडलाईट एरिया नसीमा की जन्मभूमि एवं मुजफ्फरपुर कर्मभूमि रही है। सीतामढ़ी की यह बेटी ‘परचम’ संस्था के माध्यम से दो दशक से उक्त एरिया के लोगों को संवैधानिक अधिकार दिलाने एवं बच्चियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए पहल कर रही है। इसके आलावा यहां के बच्चों को लिखने और अपनी बातों को रखने के लिए बेहतर मौका देने को ‘जुगनू’ हस्तलिखित पत्रिका निकालती हैं। रेडलाइट एरिया के लोगों के उत्थान के लिए नसीमा बीच -बीच में तरह-तरह की जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैं।
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