Home Bihar सीतामढ़ी में 88 फर्जी मदरसों की हैरान करने वाली कहानी, हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन में मचा हड़कंप

सीतामढ़ी में 88 फर्जी मदरसों की हैरान करने वाली कहानी, हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन में मचा हड़कंप

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सीतामढ़ी में 88 फर्जी मदरसों की हैरान करने वाली कहानी, हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन में मचा हड़कंप

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सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिले में फर्जी तरीके से मदरसा बोर्ड से 88 मदरसों की स्वीकृति के मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद शिक्षा के साथ पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। मामले में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव, डीजीपी, एसपी, डीईओ समेत अन्य पदाधिकारियों की परेशानी कुछ अधिक बढ़ गई है। वाद की सुनवाई कर गत दिन हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को मदरसों की जांच करा कर कार्रवाई करने एवं डीजीपी को इस प्रकरण में मदरसों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आलोक में अबतक की प्रगति की रिपोर्ट मांगी थी।

हाईकोर्ट ने रिपोर्ट तलब की

बताया गया है कि जिले के डुमरा प्रखंड के मेहसौल निवासी मो. अलाउद्दीन बिस्मिल ने हाईकोर्ट में सीडब्ल्यूजेसी 20406/18 दायर किया था। कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में परिवर्तित कर दिया था। मामले में मो. बिस्मिल ने आरोप लगाया था कि बथनाहा प्रखंड के भलही गांव के शमसुल हक के पुत्र मो. वजीर अख्तर ने हज के लिए डीईओ से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (संख्या- 2712, दिनांक- 16 दिसंबर 2013) लिया था। उसने इसी पत्र के आधार पर मदरसा बोर्ड से कई मदरसों की स्वीकृति करा ली थी और अनुदान भी प्राप्त कराना शुरू करा दिया था। इसकी खबर मिलने पर बोर्ड ने डीईओ को जांच का आदेश दिया था।

मानक पर खरे नहीं मदरसा

डीईओ ने अधिकांश मदरसों के मानक पर खरा नहीं उतरने की रिपोर्ट बोर्ड को भेजी थी। मो. बिस्मिल का आरोप था कि डीईओ की रिपोर्ट के बावजूद कुछ मदरसों को अब भी अनुदान का लाभ दिया जा रहा है। इसके बाद शिक्षा विभाग भी जगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने 17 अक्तूबर 21 को सीतामढ़ी समेत अन्य डीएम को पत्र भेज जानकारी दी थी कि सात अक्टूबर 2015 को निर्गत विभागीय पत्र द्वारा सूबे के 609 मदरसों को अनुदानित किया गया है। उन्होंने डीएम से जिला स्तर पर उक्त मदरसों की जांच करा रिपोर्ट मांगी थी। सरकार ने तीन सदस्यीय जांच टीम भी गठित कर दी थी। टीम में डीएम की ओर से मनोनीत एसडीसी, डीईओ व संबंधित बीईओ शामिल किए गए थे।

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गलत तरीके से लाभ लेने का मामला

डीएम से एक माह में जांच पूरी करा मदरसों के फोटो और साक्ष्य के साथ रिपोर्ट तलब की गई थी। वर्ष 2019 में डीईओ थे कुमार सहजानंद। उन्होंने जिस पत्र के आधार पर मदरसों को स्वीकृति देने की बात कही गई थी, उसे फर्जी करार दिया था। इस प्रकरण में मदरसा बोर्ड ने फर्जीबाड़ा करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था। डीईओ रहे सहजानंद ने वर्ष- 19 में प्राथमिकी के लिए डुमरा थाना को पत्र भेजा था, पर पुलिस ने प्राथमिकी का आवेदन देने वाले पदाधिकारी का पूरा पता मिलने तक प्राथमिकी दर्ज नहीं करने की बात कही थी। खबर मिली है कि वर्ष 2021 में पुलिस को संबंधित पदाधिकारी का पूरा पता उपलब्ध कराया गया था। बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। पुलिस परेशान इसी कारण है कि उसे प्राथमिकी के बाद अब तक की जांच से हाईकोर्ट को अवगत कराना है। यहां तो प्राथमिकी ही संभव नही हो सकी है।

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कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई

गौरतलब है कि प्राथमिकी दर्ज़ नहीं कराने पर विभाग ने तत्कालीन डीईओ कुमार सहजानंद को निलंबित कर दिया था। तब वे मोतिहारी में डीईओ थे। इधर, मदरसों के फर्जी स्वीकृति एवं अनुदान को लेकर कोर्ट के आदेश पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने 30 जनवरी को पटना में एक बैठक बुलाई है। उक्त बैठक में जिला स्तर पर गठित जांच टीम के अध्यक्ष व सदस्यों को बुलाया गया है। विभाग के विशेष निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) ने डीएम को पत्र भेज बैठक की जानकारी देने के साथ ही तीन सदस्यों को बैठक में शामिल होने के लिए निर्देशित करने का आग्रह किया है। मामले में डीएम मनेश कुमार मीणा ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर डीईओ से मदरसों की जांच करा कर सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई थी। हाईकोर्ट में मामला लंबित है। कोर्ट के आदेश पर आगे की कार्रवाई की जायेगी।
रिपोर्ट-अमरेंद्र चौहान, सीतामढ़ी

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