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हाइलाइट्स
बिहार के सीतामढ़ी जिले में माता सीता की 251 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापना की तैयारी.
रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में प्रतिमा निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध करवाई.
अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर निर्माण जितनी लागत आने की संभावना जताई जा रही.
सीतामढ़ी. रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में माता सीता की जन्मभूमि बिहार के सीतामढ़ी जिले में उनकी 251 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापना की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं. इसको लेकर रामायण रिसर्च काउंसिल की ओर जमीन अब उपलब्ध करा ली गई है. ऐसा करने के पीछे उद्देश्य माता सीता की इस पवित्र धरती को देश और दुनिया में पहचान दिलाना है. इतना ही नहीं इस कार्य के शुभारंभ होने पर भूमि पूजन का कार्य देश के प्रधानमंत्री या फिर राष्टपति के हाथों होने की पूरी संभावना है.
सीतामढ़ी के सांसद सुनील कुमार पिंटू इस पूरे मुहिम का नेतृत्व कर रहे हैं. इस बड़े प्रोजेक्ट को लेकर बताया गया कि विश्व में पहली भगवान की सबसे बड़ी प्रतिमा सीतामढ़ी के डुमरा के राघोपुर बखरी में स्थापित होगी. इसके लिए राघोपुर बखरी के महंत ने काउंसिल को कुल 18 एकड़ 40 डिसिमल भूमि दान दी है. वहीं, इसके विस्तार के लिए आसपास के किसानों ने भी काउंसिल को अपनी ज़मीन देने पर सहमति जताते हुए करीब 6 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर दिया है. काउंसिल ने अब तक कुल 24.39 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर लिया है.
इस कार्य को कार्यान्वित करने के लिए गठित श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति के अध्यक्ष और स्थानीय सांसद सुनील कुमार पिंटू ने बताया कि अभी और भूमि के अधिग्रहण के लिए वह किसानों से निरंतर संपर्क में हैं, जो जल्द ही पूर्ण कर लिया जाएगा. सांसद ने बताया कि इस स्थल के आसपास की कुल 33.86 एकड़ भूमि का रजिस्ट्री-शुल्क माफ करने के लिए सीतामढ़ी निबंधन कार्यालय के माध्यम से प्रस्ताव बिहार सरकार को भेजा गया है. इसकी स्वीकृति मिलने के बाद उसे वित्त विभाग के पास भेज भी दिया गया है.
उन्होंने कहा कि माता सीता ही एकमात्र ऐसी आदर्श उदाहरण हैं जिन पर यह कार्य करने से नारी सशक्तिकरण को बड़ा बल मिलेगा. इस कार्य के पूरा होने के बाद यह स्थल विश्व की नारी समाज के लिए प्रेरणा और दर्शन का एक अद्भुत संगम का केंद्र बन जाएगा. वहीं, माता सीताजी का भगवती के रूप में दर्शन का भाव सके, इसके लिए कुछ पुस्तिकाएं बनाकर उनका अधिक से अधिक प्रसार किया जाएगा.
यह भी कहा जा रहा है कि अयोध्या में भगवान के मंदिर निर्माण पर जितनी लागत आ रही है कमोबेश उतना ही खर्च इस योजना पर होगा. इस पवित्र कार्य में सीतामढ़ी के हर धर्म और हर वर्ग का उन्हें काफी सहयोग मिल रहा है. उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह किसानों से लगातार इस कार्य में भूमि देने का आह्वान कर रहे थे तब मो. निजामुद्दीन नाम के एक किसान ने उन्हें पूरी भावुकता के साथ करीब ढाई कट्ठे की जमीन दान स्वरूप देने की बात कही.
जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हिमालयन योगी स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज ने बताया कि काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज उस स्थान को एक शक्ति-स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं. इसके लिए 51 शक्तिपीठों समेत, इंडोनेशिया, बाली, अशोक वाटिका जैसे स्थानों से मिट्टी व जल जाकर और मध्य प्रदेश में नलखेड़ा स्थित माता बगलामुखीजी की ज्योत लाकर माता सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित किया जाएगा.
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प्रथम प्रकाशित : 19 नवंबर, 2022, भारतीय समयानुसार शाम 4:23 बजे
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