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अंग्रेजों के जमाने का स्कूल
नारायण बाबू और स्कूल के प्रिंसिपल चंद्रिका सिंह के नेतृत्व में इंग्लिश स्कूल में देश की आजादी के सपने बुने जा रहे थे। बंगाल के दर्जनों स्वतंत्रता सेनानी का प्रवास विद्यालय में होने लगा। बताया जाता है कि स्कूल के शिक्षक शांतिनाथ चट्टोपध्याय नेताजी सुभाषचंद्र बोस के करीबी थे। नारायण बाबू के परपोते और गोरेयाकोठी से बीजेपी के विधायक देवेशकांत सिंह ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानियों के बीच स्कूल की लोकप्रियता इतनी अधिक बढ़ गई कि पंडित जवाहर लाल नेहरू, मोरारजी देसाई, सरदार बल्लभ भाई पटेल , विनोबा भावे, पंडित मदन मोहन मालवीय जैसे नेता गोरेयाकोठी पहुंचे। देशरत्न राजेंद्र प्रसाद तो अक्सर गोरेयाकोठी विद्यालय पर पहुंचते थे।
महात्मा गांधी के अह्वान पर दाढ़ी यात्रा
दिल्ली विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर और कर्मयोगी नारायण हाईस्कूल के छात्र रहे जेएन सिन्हा ने बताया कि वर्ष 1931 में महात्मा गांधी के अह्वान पर गोरेयाकोठी में दांडी यात्रा निकाली गई। अंग्रेजों के जुल्म के खिलाफ निकाली गई इस यात्रा में स्कूल के सभी छात्र शामिल रहे। इस दौरान स्कूल के छात्रों और अंग्रेजी हुकूमत की पुलिस में झड़प हो गई। इसके बाद कई छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। इसमें कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद इंद्रदीप सिन्हा भी थे। तब वे विद्यालय के छात्र थे। इसके बाद नारायण बाबू और स्कूल के प्रिंसिपल चंद्रिका सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इतना ही नहीं स्कूल की मान्यता भी रद्द कर दी गई । बाद के दिनों में स्कूल का नाम कर्मयोगी नारायण हाईस्कूल हो गया।
आजादी के समय का स्कूल
गोरेयाकोठी के इस स्कूल की प्रसिद्धी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि आजादी के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस स्कूल के दर्शन किये। स्कूल आज भी सिवान में स्थित है, जहां आज भी स्वतंत्रता और गणतंत्रता दिवस के दिन छात्रों का जमावड़ा लगता है। इस स्कूल में आजादी और स्वतंत्रता के दिनों के ऐसे-ऐसे किस्से छुपे हैं, जिन्हें लोग आज भी सुनकर गौरवान्वित होते हैं। सिवान के इतिहास में नारायण कर्मयोगी स्कूल एक मील का पत्थर है। इस स्कूल के सामने आने के बाद आज भी आदर से लोगों का सिर झुक जाता है।
रिपोर्ट- दीनबंधु सिंह, सिवान
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