[ad_1]
सासाराम के चंदन पहाड़ी पर सम्राट अशोक के लघु शिलालेख को कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था। मीडिया के जरिए जब ये बात पटना तक पहुंची तो बीजेपी ने इसे सियासी मुद्दा बना दिया। अब इसका बड़ा असर देखने को मिल रहा है। आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम पटना से सासाराम पहुंची। 23 बरसों से ताले में बंद सम्राट अशोक के लघु शिलालेख का ताला खुलवाया। साथ ही उसकी एक चाबी लेकर टीम के अधिकारी पटना लौट गए।
सियासी मुद्दा बना था शिलालेख मामला
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के सिलसिले में सारनाथ जाने के क्रम में सासाराम में वक्त बिताया था। उस दौरान उन्होंने एक शिलालेख भी लिखवाई थी। जिसे कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर लिया था। मीडिया में जब ये खबर प्रमुखता से चली तो राजनीतिक क्षेत्र में हलचल मच गई। बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी खुद सासाराम में आकर इसको लेकर धरना दिए थे। तब ये मामला काफी सुर्खियों में आया था।
शिलालेख को बना दिया मजार
अब जाकर इसका ताला खुला है और आर्किलॉजिकल सर्वे की टीम ने खुद अपने पास एक चाभी रखी है। एक चाबी स्थानीय मजार कमेटी को सौंपी गई है। सम्राट अशोक के लघु शिलालेख को मजार बना दिए जाने से संबंधित खबर चलाए जाने का बड़ा असर देखने को मिला। सम्राट अशोक के इस शिलालेख को वर्ष 2008 में संरक्षित स्मारक घोषित किया था। इसके बाद 2008, 2012 और 2018 में ASI ने अशोक शिलालेख के पास अतिक्रमण हटाने के लिए तत्कालीन डीएम से गुहार लगाई गई। शिलालेख पर अवैध कब्जा करने वाले मरकजी मोहर्रम कमेटी ने आदेश को अनसुना कर वहां अवैध निर्माण भी करा दी।
रिपोर्ट- अमित कुमार
[ad_2]
Source link