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शाह करेंगे नीतीश पर ‘पॉलिटिकल स्ट्राइक’!
अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि 2024 और 2025 में बिहार में बीजेपी को प्रचंड जीत मिलना अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा आसान है। क्योंकि यहां जंगलराज और भ्रष्टाचार करने वालों का राज चल रहा है। इसे जनता पसंद नहीं करती है। अब 25 फरवरी को अमित शाह का एक दिवसीय बिहार कार्यक्रम तय किया गया है। 26 फरवरी 2019 को भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। आतंकवादी ठिकानों पर हमला कर दहशतगर्दों को मार गिराया गया था। अब ‘सर्जिकल स्ट्राइक डे’ यानी 26 फरवरी से ठीक एक दिन पहले 25 फरवरी को अमित शाह पटना पहुंच रहे हैं। फिलहाल सरकार में शामिल राजनीतिक दलों के नेताओं में खींचतान दिख रहा है। रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी का मामला काफी लंबे समय तक सुर्खियों में बना रहा। ऐसे में समझना मुश्किल नहीं है कि नीतीश सरकार पर अमित शाह किस तरह हमला बोलेंगे।
25 फरवरी को क्या है अमित शाह का कार्यक्रम?
दरअसल, 22 फरवरी को पटना की बापू सभागार में स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती समारोह सह किसान मजदूर समागम का आयोजन किया जाना था। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया था। स्वामी सहजानंद सरस्वती ने समाज सुधार में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें दलितों का संन्यासी कहा था। बीजेपी की ओर से अब इसी कार्यक्रम की तिथि को 22 फरवरी से बढ़ाकर 25 फरवरी कर दिया गया है। कार्यक्रम के आयोजक और बीजेपी सांसद विवेक ठाकुर ने बताया कि 22 फरवरी को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक होने की वजह से अमित शाह ने असमर्थता जताई थी। जिसके बाद कार्यक्रम की तिथि को 25 फरवरी कर दिया गया। इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे।
पाकिस्तान पर क्यों किया गया था सर्जिकल स्ट्राइक?
14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों ने बड़ा विस्फोट किया था। केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स के काफिले पर हमला किया गया था। आतंकियों के इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद पूरे देश में दुख की लहर और पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश व्याप्त हो गया था। 2019 लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस आतंकी हमले को अंजाम दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे, तब उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान ने बड़ी गलती कर दी है। इसके लिए पाकिस्तान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद 26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक किया गया। आतंकी ठिकानों को नष्ट कर, कई आतंकवादियों को मार गिराया गया है।
सर्जिकल स्ट्राइक पर विपक्ष आज भी मांग रहा सबूत
पुलवामा की घटना के दो सप्ताह बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकवादियों को मार गिराया। पाकिस्तान के संसद में भी भारत के इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जवाबी हमला करने की बात कही गई थी। लेकिन भारत में ही बीजेपी विरोधी राजनीतिक दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग डाले।
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम, वाम दल समेत तमाम मोदी विरोधी राजनीतिक दलों के नेताओं ने सबूत मांगा। विपक्षी दलों ने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान में चिल-कौवों को मारा है, आतंकियों को नहीं। 2019 लोकसभा चुनाव के बाद अब 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांगने का सिलसिला अब भी समाप्त नहीं हुआ है। हाल ही में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांग दिया। जिसके बाद पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया।
चरम पर तुष्टीकरण की राजनीति, शाह देंगे जवाब
लोकसभा चुनाव 2024 में अभी 15 महीने की देरी है। मगर मुस्लिम वोट को अपने पक्ष में करने के लिए जमकर तुष्टीकरण की राजनीति हो रही है। रामचरितमानस को नफरत की किताब बताने से गुरेज नहीं किया जा रहा। कांग्रेसी नेता तो पहले ही भागवत गीता को जिहाद छेड़ने की प्रेरणा देने वाला पुस्तक बता चुके हैं। राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष ने ये कह दिया कि नफरत की जमीन पर बन रहे मंदिर में भगवान राम रहने वाले हैं। इसके अलावा हिंदुओं के धार्मिक आस्था पर भी कई बार बीजेपी विरोधी राजनीतिक दलों ने चोट पहुंचाने का काम किया है।
बीजेपी नेता का तो यहां तक कहना है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा दरअसल मुसलमानों को कांग्रेस के पक्ष में एकजुट करने के लिए निकाली गई यात्रा है। इसलिए इस यात्रा में हिंदुओं के खिलाफ बयान के साथ भारतीय सेना का अपमान भी किया जा रहा है। ऐसे में समझना मुश्किल नहीं है कि जब अमित शाह एक दिवसीय दौरे पर बिहार पहुंचेंगे तो वो अपने विरोधियों पर किस तरह का निशाना साधेंगे।
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