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पटना. बिहार के सरकारी अस्पताल और स्कूल की बदहाली की खबर समय-समय पर आती रहती है. इस बारे में सरकार की तरफ से सफाई भी दी जाती है, लेकिन तस्वीर नहीं बदल पाती है. लेकिन बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भाजपा के एक विधायक ने जो मांग उठाई है अगर सरकार उस पर गंभीरता से विचार कर कुछ बीच का रास्ता निकालती है, तो बिहार के सरकारी अस्पताल और स्कूल की तस्वीर बदल जाएगी.
बता दें कि बिहार विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है और इस सत्र के दौरान जब शून्यकाल का समय आया तब पीरपैती के भाजपा विधायक ललन कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष के माध्यम सरकार से एक बड़ी मांग कर दी. भाजपा विधायक ललन कुमार ने विधानसभा के शून्य काल में कहा कि राज्य के सभी सरकारी वेतनभोगी अपने-अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाएं. साथ ही अपने और अपने परिवार का इलाज सरकारी अस्पताल में कराएं. ललन कुमार ने बिहार सरकार से यह भी मांग कर दी की इस पर ठोस कानून बनाए बिहार सरकार ताकि इस कदम से सरकारी अस्पताल और स्कूलों की तस्वीर बदली जा सके.
ललन कुमार ने कहा कि सरकारी स्कूलों में बड़े अधिकारियों और नेताओं के बच्चा न के बराबर पढ़ते हैं. जिसकी वजह से स्कूल की गुणवत्ता में सुधार नही हो पा रहा है. स्कूलों की वर्तमान दशा बदलनने की जिन अधिकारियों के पर जिम्मेदारी है, वे सिर्फ कागजों पर सुधार की बड़ी-बड़ी बातें कर देते हैं, लेकिन जमीनी तस्वीर नहीं बदल पाती है. जब उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो उनका ध्यान अपने आप सरकारी स्कूलों पर आ जाएगा और फिर तस्वीर बदलते देर नही लगेगी.
कुछ ऐसा ही हाल सरकारी अस्पतालों का भी है. जब अधिकारियों या उनके परिवार के सदस्यों की तबीयत बिगड़ती है, तो उनकी पहली पसंद प्राइवेट अस्पताल होती है. अगर वे खुद का इलाज कराने जाएंगे तभी उन्हें समझ में आएगा कि सरकारी अस्पताल की हकीकत क्या है. भाजपा विधायक की बातों का कई और विधायकों ने भी समर्थन किया है और सरकार से इस आइडिया पर विचार करने की मांग की है.
आपके शहर से (पटना)
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