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Bihar Politics : बिहार की राजनीति में उपेंद्र कुशवाहा आज यानी मंगलवार 28 मार्च को अपनी नई पारी की नई शुरूआत करने जा रहे हैं। इसकी नींव रखी गई है सम्राट अशोक के नाम पर। सम्राट अशोक की जयंती के बहाने कुशवाहा आज अपना शक्ति प्रदर्शन करने के मूड में भी हैं।
क्या है नाराजगी का कारण
नाराजगी की वजह भी सार्वजनिक है, बकौल उपेंद्र कुशवाहा ‘नीतीश कुमार ने लव कुश और अतिपिछड़ा की राजनीति को राष्ट्रीय जनता दल की गोद में रखने का काम किया है। वर्ष 2005 में राज्य के लव-कुश और अतिपिछड़े समाज ने नीतीश कुमार को जो ताकत सौंप कर सत्तासीन किया, नीतीश कुमार उस ताकत के प्रति वफादार नहीं रहे और जिम्मेदार भी नहीं। और तो और इस राजनीति को उन्होंने अपने लोगों के हाथ नहीं बल्कि जिसके विरुद्ध लव कुश और अतिपिछड़ों की राजनीतिक लड़ाई थी उन्हीं के गोद में रख जनमत का अपमान किया है।
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कुशवाहा के निशाने पर सिर्फ नीतीश
इस आग की छटपटाहट ऐसी कि कुशवाहा ने आनन फानन में विरासत बचाओ यात्रा की नींव सिर्फ नीतीश की राजनीति की हवा निकालने के ध्येय से शुरू कर दी। पश्चिम चंपारण के बापू आश्रम से शुरू इस यात्रा के दौरान महात्मा गांधी, बतख मियां, जेपी, कर्पूरी ठाकुर, सूरज नारायण सिंह, फणीश्वरनाथ रेणु, जुब्बा साहनी, तिलका मांझी, श्रीकृष्ण सिंह, अब्दुल कयूम अंसारी, चंद्रशेखर उर्फ चंदू, दशरथ मांझी, बाबू जगजीवन राम, वीर कुंवर सिंह, शहीद निशान सिंह, डा लाल सिंह त्यागी व गुरुसहाय लाल सहित दर्जनों महापुरुषों के स्मारक पर माल्यार्पण कर नीतीश कुमार के विरुद्ध एक समा बांधने का काम किया।कभी चुप्पी तो कभी विरोधियों के साथ कदमताल, नीतीश की चाल या दिखा रहे ‘भविष्य’ का हाल?
बिहार की राजनीतिक धुरी
फिलहाल राज्य की राजनीति अभी कुशवाहा की धुरी के इर्द गिर्द घूम रही है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि राज्य के दो बड़े दल यानी भाजपा और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष कुशवाहा जाति से आए हैं। हद तो यह हो गई कि उपेंद्र कुशवाहा के जदयू से जाने के बाद बतौर डैमेज कंट्रोल जदयू के केंद्रीय संगठन में पांच और राज्य संगठन में प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा समेत कुल 24 लोगों को जगह दी गई है। उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के इस डर की फसल को काटना चाहते हैं। वैसे भी राज्य की राजनीति में पांच कुशवाहों का वर्चस्व है। इस कड़ी में उपेंद्र कुशवाहा सबसे परिपक्व और संघर्ष करने वाले नेता है। दूसरा नाम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, तीसरा नाम भगवान सिंह कुशवाहा और चौथा नाम नागमणि और पांचवां नाम आलोक मेहता का आता है।
जयंती समारोह में नंबर गेम अहम
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि आज की भीड़ भाजपा की आगामी रणनीति को मजबूती करेगी। अपनी विरासत बचाओ यात्रा में उपेंद्र कुशवाहा आरोपों से नीतीश कुमार को कितना कठघरे में रख पाए होंगे या जनता कितनी सहमत हुई होगी, कल इस बात पर जितनी मुहर लगेगी, उपेंद्र कुशवाहा की राजनीति उतनी ही बड़ी होगी। और भाजपा भी इस भीड़ पर नजरें टिकाए रहेगी। सवाल ये भी कि छोटे दलों को साथी बना जंग जीतने की उम्मीद रख रही भाजपा को क्या एक मजबूत साथी मिलेगा?
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