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दूसरी वजह यह कही जा रही है कि 2024 के मद्देनजर क्षेत्रीय दल अपने-अपने स्तर से गोलबंदी में लगे हुए हैं, उसमें कांग्रेस का कोई नाम लेवा नहीं है। कांग्रेस चाहती है विपक्ष की गोलबंदी हो लेकिन उसे केंद्र में रखकर हो। ऐसा प्रयास करने के लिए उसे एक अदद ऐसे गैर कांग्रेसी नेता की जरूरत है जिसकी बात का वजन हो। मौजूदा सूरत-ए-हाल में उसे शरद यादव से बेहतर कोई विकल्प नहीं दिख रहा है। अलग-अलग राज्यों में क्षेत्रीय दलों का नेतृत्व नई पीढ़ी को चला जरूर गया है, लेकिन युवा नेतृत्व शरद यादव को सम्मान देता है। ज्यादातर युवा नेताओं के पिता से शरद यादव की मित्रता रही है। ऐसे में राहुल शरद यादव के जरिए उन तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं।
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