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लालू राज में हुए डॉ. रमेश चंद्रा के अपहरण की वो खौफनाक कहानी

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लालू राज में हुए डॉ. रमेश चंद्रा के अपहरण की वो खौफनाक कहानी

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पटना : ऐ डॉक्टर ई हड़ताल-ओड़ताल बिहान बंद कराव। हमार आदमी सब तहरा लोग के अस्पताल में कल आग लगा दी। हमरा दोष मत दीह। ये धमकी भरा संदेश 2003 के मई महीने में लालू की जुबान से निकला था। लालू यादव डॉ. रमेश चंद्रा के अपहरण के बाद डॉक्टरों की हड़ताल रोकने के लिए प्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट डॉ. अजय कुमार को फोन पर धमका रहे थे। लालू यादव को जब डॉ. अजय कुमार ने जवाब में कहा कि मैं एक अणे मार्ग आ रहा हूं मेरे शरीर में ही आग लगा दीजिए। उसके बाद लालू गुस्से में फोन तत्कालीन स्वास्थ्य राज्य मंत्री अखिलेश प्रसाद सिंह को दे देते हैं। अखिलेश प्रसाद सिंह अजय कुमार से डॉक्टरों की हड़ताल रोकने का उपाय पूछते हैं। डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि मैंने स्वास्थ्य मंत्री को कहा कि डॉ. रमेश चंद्रा की पत्नी आ गई हैं। पांच बजे सुबह में जो डॉक्टरों के नेता हैं उन्हें संजय गांधी जैविक उद्यान के सामने बुलवाया है। इसमें डॉ.विजय प्रकाश, मंजू गीता मिश्रा और नरेंद्र प्रसाद शामिल हैं। साथ में चलिये। हमलोग डॉ. रमेश चंद्रा की वाइफ से ये स्टेटमेंट दिलवा देंगे कि अभी हड़ताल करने से मेरे पति की जान को खतरा है। इसलिए कुछ दिन के लिए हड़ताल को स्थगित कर दिया जाए।

खौफनाक है अपहरण की वो कहानी

प्रसिद्ध यूरोलॉजिस्ट डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि उस जमाने में लोगों का रहना मुश्किल था। यादव गैंग काम करता था। एसपी जैसे अधिकारी का कोई महत्व नहीं था। यही लोग राज चलाते थे। इन्हीं लोगों के संपर्क में लालू जी रहते थे। 2003 में बिहार की तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं। कहा जाता है कि लालू यादव उस समय बैकडोर से सत्ता की कमान संभालते थे। लालू यादव के इशारे के बिना एक पत्ता भी नहीं खड़कता था। उस दौर में दबी जुबान में कहा जाता था कि बिहार के सीएम हाउस को अपहरण के बाद वसूल की जाने वाली फिरौती से हिस्सा दिया जाता था। हालांकि, इसमें कितनी सच्चाई थी ये कोई नहीं बता पाता था। जानकार लालू राज के जमाने को संक्षिप्त में कुछ इस तरह बयां करते हैं। वे कहते हैं कि पूरा सिस्टम माफिया के कब्जे में था। गुंडे विकास कार्यों का टेंडर लेते थे। राज्य में अपहरण उद्योग की तरह था। डॉक्टर और व्यवसायियों का अपहरण खुलेआम होता था। लालू के कार्यकाल में कोई भी सुरक्षित नहीं था। विधायक अजीत सरकार, विधायक देवेंद्र दुबे, छोटन शुक्ला और मंत्री बृजबिहारी प्रसाद ये सब मारे गए। आईएएस ऑफिसर बीबी विश्वास की पत्नी चंपा विश्वास, उनकी मां, भतीजी और दो मेड के साथ रेप किया गया। डीएम जी कृष्णैया की मॉब लिंचिंग की गई।

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कहानी डॉ. रमेश चंद्रा के अपहरण की

NMCH के डॉ संजय कुमार पिछले 13 दिनों से लापता हैं। उनकी खोज बीन शुरू है। डॉ. संजय कुमार के अपहरण की बात सामने आ रही है। इसी बहाने राबड़ी के शासन और लालू राज में हुए डॉ. रमेश चंद्रा के अपहरण की कहानी भी जानने लायक है। इस अपहरण कांड के बाद पूरे बिहार के डॉक्टर आक्रोशित हो गये थे। डॉ. रमेश चंद्रा बिहार के पहले न्यूरो सर्जन थे। वो तारीख 17 मई 2003 थी। डॉ. रमेश चंद्रा के मित्र और यूरोलॉजिस्ट डॉ. अजय कुमार ने रमेश चंद्रा को पार्टी में इनवाइट किया। डॉ. रमेश चंद्रा ने कहा कि उनका आना मुश्किल लग रहा है। दानापुर में उन्हें एक जन्मदिन की पार्टी में जाना है। डॉ. अजय कुमार ने मीडिया वालों से उस दिन की घटना शेयर करते हुए कहा है कि रमेश चंद्रा उनके यहां आ रहे हैं, ये बात सिर्फ तीन लोग ही जानते थे। डॉ. अजय कुमार का घर आशियाना दीघा रोड के मजिस्ट्रेट कॉलोनी में है। वे पार्टियों के लिये जाने जाते हैं। उनके घर बड़े लोगों का आना-जाना लगा रहता है। डॉ. अजय ने अपहरण वाले दिन भी पार्टी रखी थी। ये पार्टी अगले दिन आईजीआईएमएस में होने वाली न्यूरो सर्जनों की बैठक को लेकर थी। पटना में देश भर से बड़े डॉक्टर जुटे थे। उनके सम्मान में डॉ. अजय कुमार ने पार्टी दी थी। डॉ. अजय कुमार के घर पर जो पार्टी थी उसमें तब के स्वास्थ्य मंत्री शकील अहमद और हेल्थ सेक्रेटरी अफजल अमानुल्लाह भी आए थे। डॉ. रमेश चंद्रा को डॉ. अजय कुमार ने आमंत्रित किया था। डॉ. रमेश चंद्रा की पत्नी अमेरिका गई हुई थीं। उनके बेटे अमेरिका में रह रहे थे। डॉ. रमेश चंद्रा ने अजय कुमार को कहा था कि उन्हें छोड़ दीजिए वो कहां आ पाएंगे। डॉ. अजय कुमार की जिद पर रमेश चंद्रा पार्टी में पहुंचे।

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घर जाते वक्त रास्ते से उठाया

घटना के दिन डॉ. रमेश चंद्रा के पास उनका ड्राइवर नहीं था। वे खुद गाड़ी चला रहे थे। डॉ. अजय के यहां आने के पहले वे दानापुर में बर्थ डे पार्टी में गये थे। वहां से आशियाना दीघा अजय के घर पहुंचे। पार्टी में शरीक हुए। फिर पार्टी समाप्ति की ओर बढ़ने तो डॉ. रमेश चंद्रा अफजल अमानुल्लाह, शकील अहमद तीनों निकले। तीनों के रास्ते अलग-अलग थे। तीनों यानी स्वास्थ्य मंत्री और हेल्थ सेक्रेटरी अपनी-अपनी गाड़ी में थे। डॉ. रमेश चंद्रा अपनी गाड़ी खुद चला रहे थे। डॉ. रमेश चंद्रा का आवास मीठापुर में था। वे वहां पहुंचने के लिए बेली रोड से होते हुए हड़ताली मोड़ पहुंचे। डॉ. रमेश चंद्रा को अंदाजा नहीं था कि उनकी पहले से ही रेकी की गई है। डॉ. अजय कुमार के मुताबिक अपहरणकर्ता जगत एनक्लेव से उनका पीछा कर रहे थे। डॉ. रमेश चंद्रा के मूवमेंट पर नजर रखी जा रही थी। दानापुर में जब डॉ. चंद्रा बर्थ डे पार्टी में गये उस वक्त भी किडनैपर्स ने उन पर निगाह रखी। डॉ. रमेश चंद्रा आराम से गाड़ी चलाते हुए मीठापुर के लिए आ रहे थे। इस बीच हड़ताली मोड़ से आ ब्लॉक जाने के लिए जैसे ही वे सर्पेटाइन रोड में घुसे। उनके आगे आकर किडनैपर्स ने उन्हें रोक लिया। अपहरणकर्ताओं ने उनकी गाड़ी को ओवरटेक किया। उन्हें रोका। उसके बाद डॉ. रमेश चंद्रा का अपहरण कर लिया। रात को ये खबर किसी को मालूम नहीं हुई।

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रमेश चंद्रा का हुआ अपहरण

सुबह जब रमेश चंद्रा घर नहीं पहुंचे तो लोगों को चिंता हुई। डॉ. अजय कुमार बताते हैं कि सुबह मंजू गीता मिश्रा ने उन्हें फोन कर कहा कि आपकी पार्टी अच्छी थी। लेकिन एक खबर अच्छी नहीं है। डॉ. रमेश चंद्रा घर नहीं पहुंचे हैं। मजाकिया लहजे में डॉक्टर अजय कुमार ने कह दिया कि पत्नी गई हुई हैं अमेरिका। कहीं रूक गये होंगे। इसमें घबराने की कोई बात नहीं। उसके बाद मंजू गीता मिश्रा ने जो जानकारी दी वो चौंकाने वाली थी। जानकारी ये थी कि डॉक्टर रमेश चंद्रा की गाड़ी लावारिश स्थिति में बाइपास पर बरामद हुई है। अब इसका मतलब स्पष्ट था कि डॉ. रमेश चंद्रा का अपहरण किया जा चुका है। उसके बाद पूरे बिहार में हड़कंप मच गया और हंगामा शुरू हो गया। 2003 में अपराधियों का पीछा करने की तकनीक आगे नहीं बढ़ी थी। टावर से लोकेशन नहीं निकलता था। बिहार के डॉक्टरों ने हड़ताल ने घोषणा कर दी। डॉ. रमेश चंद्रा के अपहरण से डॉक्टर डर गये थे। उसके बाद किडनैपर्स ने डॉ. चंद्रा के परिवार से दो करोड़ की फिरौती मांगी। उस समय डीपी ओझा बिहार के डीजीपी थे। पटना में आईजी एसी वर्मा थे। सुनील कुमार सिंह एसपी हुआ करते थे। पुलिस एक्टिव हो गई थी। कुछ बातें खुलने लगी थी। हंगामा चलता रहा।
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अपहरण से हिल गया था पूरा बिहार

घटना को लेकर डॉक्टरों में तनाव था। 20 मई की रात जब डॉक्टरों की हड़ताल शुरू होनी थी। अचानक पुलिस ने डॉ. रमेश चंद्रा को नौबतपुर के चिरौरा से बरामद कर लिया। हालांकि कहने वाले लोग ये भी कहते हैं कि डॉ. रमेश चंद्रा को पुलिस ने बरामद नहीं किया था। अपहरणकर्ताओं ने उन्हें सौदेबाजी के बाद छोड़ दिया था। घटना को लेकर राजनीति शुरू हो चुकी थी। तब राबड़ी देवी की सरकार में अखिलेश प्रसाद सिंह स्वास्थ्य राज्य मंत्री हुआ करते थे। डॉ. सीपी ठाकुर उस समय केंद्र सरकार में मंत्री थे। अपरहण के पीछे समता पार्टी के एक विधायक का नाम आया। अखिलेश प्रसाद सिंह ने आरोप लगाया कि अपहरणकर्ताओं से सांठगांठ रखने वाले विधायक ने सीपी ठाकुर के नंबर पर कॉल किया था। उसके बाद राजनीति तेज हो गई। अपहरणकर्ताओं से आजाद होने के बाद डॉ. रमेश चंद्रा सदमे में चले गए थे। इधर, बिहार से डॉक्टरों का पलायन शुरू हो गया। डॉ. रमेश चंद्रा बिहार छोड़कर चले गये। पहले वे दिल्ली गये। गुड़गांव में उन्होंने घर बनाया। उस समय बिहार में राबड़ी देवी का शासन था। लालू यादव सत्ता की बागडोर परदे के पीछे से संभालते थे। इस घटना के बाद बिहार में जंगलराज है। ऐसा कहने वालों की संख्या बढ़ने लगी थी। डॉ. रमेश चंद्रा सदा के लिए बिहार छोड़ चुके थे। अपने पीछे छोड़ गये थे बिहार के हजारों डॉक्टरों के चेहरे पर खौफ की लकीर।

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