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पटना. सुपर कॉप IPS अधिकारी शिवदीप लांडे ने रोहतास पोस्टिंग के दौरान पत्थर माफियाओं पर कार्रवाई के अनुभवों को साझा किया है. उन्होंने कहा कि पत्थर माफियाओं का नेक्सस तोड़ने के लिए अधिकारियों में दृढ़ इच्छाशक्ति होनी चाहिए. बिहार के रोहतास में कभी पत्थर माफियाओं का आतंक हुआ करता था. कानून का माखौल उड़ा कर पत्थर माफिया लगातार प्रशासन के लिए चुनौती बने रहते थे. समय-समय पर इन पत्थर माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई है. इन्हीं अधिकारियों में से एक रहे हैं रोहतास के पूर्व एसपी शिवदीप लांडे. शिवदीप लांडे ने पत्थर माफियाओं पर नकेश कसने के बारे में बताया है.
शिवदीप लांडे ने पत्थर माफियाओं पर कार्रवाई से जुड़े अनुभवों सोशल मीडिया पर साझा किया है. आईपीएस शिवदीप लांडे की जुबानी जानिए रोहतास के पत्थर माफियाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई की कहानी….
कैमूर पहाड़ियों की श्रृंखला (जिसकी खूबसूरती अपने आप में एक मिसाल से कम नहीं है) मध्य प्रदेश के जबलपुर से शुरू होकर बिहार के रोहतास जिले के सासाराम तक फैली हुई है. पहाड़ी शृंखला सोन, तमसा जैसी नदियों को विभाजित कर समतल जमीन तक लाने का कार्य करती है. यह दक्षिण-पूर्वी बिहार के सबसे मनोरम स्थलों में से एक है. कैमूर की इन पहाड़ियों को कुछ वर्ष पहले अनैतिक लोगों की मानों बुरी नज़र लग गई थी. पत्थर माफियाओं के सिंडिकेट का जन्म हो चुका था. कुछ ही वर्षों में यहां 1000 से भी ज्यादा गैरकानूनी पत्थर तोड़ने की मिनी कारखाने स्थापित हो चुके थे. देखते ही देखते माफियाओं का सिंडीकेट इतना मजबूत और ताकतवर बन गया था की ये सरकार और प्रशासन के लिए सरदर्द बनना शुरू हो गया. चूंकि पैसों के लालच ने वहां के स्थानीय लोगों को भी रोजगार दिया था तो उनका भी साथ इन्हें प्राप्त हो गया था. इनके मनोबल का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इनके गैरकानूनी काम पर लगाम लगाने के लिए प्रयासरत एक जिला वन पदाधिकारी की हत्या कर दी गई थी. इतने बड़े अधिकारी की मौत की सूचना बाकी पदाधिकारयों के लिए भय का अभिप्राय बन चुकी थी.
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मेरी नियुक्ति कैमूर जिला के SP रूप में हुई. वहां पदभार संभालने के साथ ही मुझे पत्थर माफिया के सिंडिकेट के बारे में जानकारी मिली. मुझे यह जान कर बेहद आश्चर्य हुआ कि इन अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ चुका है कि कोई भी पदाधिकारी संज्ञान लेने से झिझक सा रहा है. मैंने ठीक उसी वक़्त यह ठान लिया कि जब तक मेरे पास कैमूर जिले का पदभार रहेगा तब तक एक भी गैरकानूनी सिंडिकेट को यहां चलने नहीं दूंगा. कुछ ही दिनों में वहां के भौगोलिक क्षेत्र का सर्वेक्षण करवाया और एक लंबी सूची तैयार करवाई. अवैध स्टोन चिप्स क्रशर का मैपिंग करवाया. कैमूर हिल के कारवांडिअ, कंचनपुर, गोपी बिगाह, बासा इनमें से प्रमुख केंद्र थे.
मुझे आज भी याद है कि वह 3 अप्रैल का दिन था, जब सुबह में मैंने इन माफियाओं के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए खुद इन पहाड़ियों के तरफ कूच किया था. मेरे साथ जिला पुलिस की टीम भी रवाना हुई थी. मौके पर पहुंच कर मैंने देखा कि इन लोगों ने तो पूरे पहाड़ को ही ध्वस्त कर रखा है. रात के समय बम से पहाड़ों को तोड़ना और दिन में पत्थरों को बड़े-बड़े ट्रकों में डालकर बाजार में भेज देना… न जाने यह कितने दिनों से चल रहा था. यह देख मेरे अंदर से आवाज़ आई कि अगर आज इन्हें नहीं रोका तो फ़िर इस खाकी का कोई मतलब नहीं. मैंने तत्काल ही आदेश दिया की सभी क्रशर को ध्वस्त किया जाए और ऐसे सभी माफियाओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज़ की जाए.
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3 अप्रैल के उस दिन हमारे दस्ते के साथ हमारी सरकारी JCB भी साथ थी. जब मैंने देखा की उसका ड्राइवर थोड़ा डरा है तो मैंने खुद से JCB चलाने का फैसला किया. सबसे पहला क्रशर मैंने खुद JCB चलाकर ध्वस्त किया. इसके बाद मेरी टीम के सदस्यों में न जाने कौन सी शक्ति आ गई कि देखते ही देखते चंद घंटों में 500 से ज्यादा क्रशर्स को ध्वस्त कर दिया गया. हज़ारों की संख्या में ट्रक और मशीन को जब्त किया गया. मेरे द्वारा चलाये जा रहे इस मुहिम से इन माफियों को गलती करने पर मजबूर किया. उन लोगों ने मुझ पर भी जानलेवा हमला करवाने से परहेज़ नहीं किया. एक बार मैं बस कुछ ही पल के अंतराल से बच गया, पर इससे मेरे इरादे और भी मजबूत हो गए. मेरे द्वारा अभियान लगातार चलाया जाता रहा. कुछ ही दिनों में कैमूर की वादियों में सन्नाटा छा गया था. कैमूर की इन पहाड़ियों में फ़िर कोई गैरकानूनी स्टोन क्रशर के चलने की कोई जानकारी आज तक नहीं मिली है. वन-पर्यावरण अपने पूर्ण जीवन की और लौटने लगा.
माफियाओं के सिंडिकेट ने न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया था, बल्कि वन व्यवस्था, स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के साथ भी बहुत बड़ा अपराध किया था. वहां के अधिकांश स्थानीय लोगों को फेफड़ों से संबंधित बीमारी ने अपने चपेट में ले रखा था. वहां के वातावरण में पत्थर की छोटे-छोटे इकाई खुली आंखों से भी दिखती थीं. इन क्रशर्स के बंद होते ही बहुत बड़ी राहत महसूस की गई. दोस्तों मेरा मानना है की अगर आप सच को बचाने के लिए लड़ने उतरे हैं तो बस किसी भी परिस्थिति के डर से ऊपर उठकर अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए. ईश्वर आपके साथ होता है…
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प्रथम प्रकाशित : मई 31, 2022, 18:51 IST
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