Home Bihar राजद से दूर तो नहीं हो रहा शहाबुद्दीन परिवार: हिना बोलीं- बिना बताए पद दिया, बिना पूछे हटाया

राजद से दूर तो नहीं हो रहा शहाबुद्दीन परिवार: हिना बोलीं- बिना बताए पद दिया, बिना पूछे हटाया

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राजद से दूर तो नहीं हो रहा शहाबुद्दीन परिवार: हिना बोलीं- बिना बताए पद दिया, बिना पूछे हटाया

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दिवंगत पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब।

दिवंगत पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब।
– फोटो : Social Media

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राष्ट्रीय जनता दल के शुरुआती दौर में लालू प्रसाद के करीबी रहे सांसद मो. शहाबुद्दीन के इंतकाल के बाद से उनका परिवार चर्चा में रहा है। दिवंगत सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को राजद में दरकिनार करने का विरोध उनके समर्थक बार-बार करते रहे हैं। अब हिना शहाब को लालू प्रसाद ने सिंगापुर रवाना होने से पहले जब राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर किया तो समर्थकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। जब हिना शहाब से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा- “मुझे चाहिए ही नहीं था। न पद देते समय बताया गया और न हटाए जाते समय पूछा गया।” पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के जेल जाने के समय से उनकी पत्नी हिना राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में थीं, लेकिन इस बार बनाई गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनका नाम नहीं है। चर्चा है कि गोपालगंज के उप चुनाव में राजद की हार के मद्देनजर यह बदलाव हुआ है। राजद के इस स्टैंड से सीवान में मो. शहाबुद्दीन के समर्थकों में भारी आक्रोश है।

समर्थकों ने कहा– यह शहाबुद्दीन से दगाबाजी
राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से हिना शहाब को हटाने के बाद जब उनसे फोन पर बात की गई, तो उन्होंने कहा- “हमको चाहिए ही नहीं था। जब दिया गया था, तब भी हमसे नहीं पूछा गया था। हम तो मीटिंग में भी नहीं गए। अब जब पद लिया गया, तब भी नहीं बताया गया। इसपर अभी इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते।” बहरहाल हिना शहाब के समर्थकों का कहना है कि यह मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ दगाबाजी है। मतलब निकलने पर पहचान भूलने की इस आदत का खामियाजा कुढ़नी उप चुनाव पर भी दिखेगा।

बार-बार हार से राजद ने समझा बेकार
कहा जाता है कि कभी लालू यादव मो. शहाबुद्दीन की राय पर ही बिहार के एक बड़े हिस्से में सांसद-विधायक का टिकट बांटते थे। लेकिन, वक्त के साथ मो. शहाबुद्दीन की ताकत अंदर ही अंदर घटती गई, खासकर बिहार में 2005 में जदयू-भाजपा की सरकार बनने के बाद। हिना शहाब 2009 में सीवान से पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरीं। फिर 2014 और 2019 में भी, लेकिन जीतीं कभी नहीं। राजद के प्रदेश स्तरीय नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा- “बार-बार हार को देखते हुए राजद के नए नेतृत्व में हिना को तवज्जो नहीं दी और इसमें नया कुछ नहीं। राजनीति में डूबते को कोई सहारा नहीं देता।”

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राष्ट्रीय जनता दल के शुरुआती दौर में लालू प्रसाद के करीबी रहे सांसद मो. शहाबुद्दीन के इंतकाल के बाद से उनका परिवार चर्चा में रहा है। दिवंगत सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को राजद में दरकिनार करने का विरोध उनके समर्थक बार-बार करते रहे हैं। अब हिना शहाब को लालू प्रसाद ने सिंगापुर रवाना होने से पहले जब राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर किया तो समर्थकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। जब हिना शहाब से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा- “मुझे चाहिए ही नहीं था। न पद देते समय बताया गया और न हटाए जाते समय पूछा गया।” पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के जेल जाने के समय से उनकी पत्नी हिना राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में थीं, लेकिन इस बार बनाई गई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनका नाम नहीं है। चर्चा है कि गोपालगंज के उप चुनाव में राजद की हार के मद्देनजर यह बदलाव हुआ है। राजद के इस स्टैंड से सीवान में मो. शहाबुद्दीन के समर्थकों में भारी आक्रोश है।

समर्थकों ने कहा– यह शहाबुद्दीन से दगाबाजी

राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से हिना शहाब को हटाने के बाद जब उनसे फोन पर बात की गई, तो उन्होंने कहा- “हमको चाहिए ही नहीं था। जब दिया गया था, तब भी हमसे नहीं पूछा गया था। हम तो मीटिंग में भी नहीं गए। अब जब पद लिया गया, तब भी नहीं बताया गया। इसपर अभी इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते।” बहरहाल हिना शहाब के समर्थकों का कहना है कि यह मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ दगाबाजी है। मतलब निकलने पर पहचान भूलने की इस आदत का खामियाजा कुढ़नी उप चुनाव पर भी दिखेगा।

बार-बार हार से राजद ने समझा बेकार

कहा जाता है कि कभी लालू यादव मो. शहाबुद्दीन की राय पर ही बिहार के एक बड़े हिस्से में सांसद-विधायक का टिकट बांटते थे। लेकिन, वक्त के साथ मो. शहाबुद्दीन की ताकत अंदर ही अंदर घटती गई, खासकर बिहार में 2005 में जदयू-भाजपा की सरकार बनने के बाद। हिना शहाब 2009 में सीवान से पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरीं। फिर 2014 और 2019 में भी, लेकिन जीतीं कभी नहीं। राजद के प्रदेश स्तरीय नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा- “बार-बार हार को देखते हुए राजद के नए नेतृत्व में हिना को तवज्जो नहीं दी और इसमें नया कुछ नहीं। राजनीति में डूबते को कोई सहारा नहीं देता।”



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