Home Bihar योगी के गढ़ में ताकत आजमाएंगे नीतीश, 2024 को लेकर है खास प्लानिंग

योगी के गढ़ में ताकत आजमाएंगे नीतीश, 2024 को लेकर है खास प्लानिंग

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योगी के गढ़ में ताकत आजमाएंगे नीतीश, 2024 को लेकर है खास प्लानिंग

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पटना: यह दीगर कि निकाय चुनाव का इतिहास अच्छा नहीं, फिर भी जनतादल यूनाइटेड (JDU) उत्तरप्रदेश के निकाय चुनाव में हिस्सा लेने का मन बनाया है। दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने की जुगत भिड़ा रहे जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष अपने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में आधार मजबूत करने को निकाय चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने जा रहे हैं। पार्टी का यह कदम आधार स्तर पर वोट बैंक तैयार करने को लेकर किया जा रहा है। यह सब इसलिए कि आगामी लोकसभा चुनाव लड़ना हो तो पार्टी की पैठ निकाय स्तर पर मजबूत रहे। पार्टी का मानना है कि राष्ट्रीय छवि बनाने के लिए पार्टी को राज्य से बाहर निकलना होगा।

कब होंगे चुनाव!

बिहार के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में यह चुनाव दो चरणों में होगा। पहले चरण का मतदान 4 मई को होगा जबकि 11 मई को दूसरे चरण का मतदान होगा। जेडीयू ने उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

प्रचारकों की फौज उतरेंगे!

जेडीयू ने अपने उम्मीदवार को सभी सीटों पर केवल खड़ा करने का ऐलान नहीं किया है। बल्कि वह इस चुनाव के लिए काफी गंभीर भी है। इसलिए अपने दल के स्टार प्रचारकों को उत्तरप्रदेश की सरजमी पर तो उतरेंगे ही। दिलचस्प तो यह है कि आगामी नगर निकाय चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को सुनिश्चित करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उत्तरप्रदेश निकाय चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने को उत्तरप्रदेश भी जायेंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जेडीयू अपनी गंभीर उपस्थिति दर्ज कराने के लिए निकाय चुनाव लड़ रही है। ऐसा नहीं कि जेडीयू का आधार संगठन उत्तरप्रदेश में निकाय स्तर पर बना है। लेकिन इस बहाने जेडीयू अपनी पहचान निकाय स्तर पर बनाना चाहती है कि जब लोक सभा में पार्टी उतरे तो यूपी के जनता के लिए पार्टी अनभिज्ञ न लगे।

कुर्मी बहुल क्षेत्रों पर है निशाना

सीएम नीतीश कुमार का निशाना उत्तर प्रदेश में कुर्मी समाज की 6 फीसदी वोटों पर है। लेकिन राजनीतिक रूप से काफी ताकतवर इस जाति के कई कद्दावर नेताओं के पॉकेट से क्या ये वोट जेडीयू को दिला पाएंगे। यह एक यक्ष्य प्रश्न सा है। कुर्मी जाति का लगभग 50 विधानसभा सीटों पर अपना असर दिखा करता है। यूपी में अपना दल के दोनों धड़ों का सियासी आधार कुर्मी वोटबैंक है। इस वोट बैंक के सहारे वह सत्ता में भागीदारी बनी हुई हैं। ऐसे में बीजेपी से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस तक कुर्मी वोटों को साधने में जुटी है। यह सच है कि यूपी में यादवों के बाद सबसे ज्यादा वोट कुर्मी जाति के हैं।

कुर्मी समाज कई उपजातियां और पार्टियों में बंटा है

रामपूजन, सोनलाल, बेनीप्रसाद वर्मा कुर्मी नेता रहे हैं। कुर्मी समाज के वोटों को साधने के लिए नीतीश कुमार को बीजेपी से लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस के पॉकेट से जूझना होगा। साथ में अपना दल के दोनों धड़े कुर्मी समाज की बदौलत किंगमेकर बनते रहे हैं। कुर्मी जाति की इसी छह प्रतिशत वोट के सहारे नीतीश कुमार की जेडीयूभी सूबे में अपनी सियासी पैर जमाना चाहती है। यह कोई आसान काम नहीं। नगर निकाय चुनाव नीतीश कुमार के लिए लिटमस टेस्ट साबित होगा।

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दिल्ली नगर निगम चुनाव भी उतरी थी जेडीयू

वर्ष 2022 में जनता दल यूनाइटेड भी दिल्ली निगम चुनावों में अपना दमखम दिखाने उतरी थी। तब जेडीयू ने दिल्ली नगर निगम चुनावों की सभी 272 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। दिल्ली नगर चुनाव को जेडीयू ने तब काफी गंभीरता से लिया था। साल भर पहले से जेडीयू ने निकाय क्षेत्र की जनता से संपर्क भी साधा था। पोस्टर बैनर से दिल्ली को पाट दिया था। तब दिल्लीवासी को एक सपना भी दिखाते एक नारा भी दिया था ‘आइए बेहतर दिल्ली के लिए साथ चलें’। लेकिन बाद में निकाय की सभी सीटों पर उतरने के बजाय उन सीटों पर ही लड़ी जहां बिहारियों की जनसंख्या काफी थी।

बाबजूद, दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 में एक बार फिर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को करारी हार मिली है। इस एमसीडी में बीजेपी का 15 साल से चला आ रहा राज खत्म हो गया। आप बहुमत के आंकड़े को पार कर गई थी।
BJP Foundation Day 2023: अटल के ‘इरादों’ से नरेंद्र मोदी के ‘मैजिक’ तक बिहार में कितनी बदली BJP?वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को दिल्ली ने ठुकरा दिया था। जेडीयू कहीं टक्कर में भी नहीं थी। एमसीडी की 250 वार्डों में से 23 सीटों पर जेडीयू ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. फोकस वहीं वार्ड रहे, जहां बिहार के लोगों की संख्या ठीक ठाक है। इसके बावजूद कहीं मुकाबला नहीं रहा। देश की राजनीति पर टिकी नीतीश कुमार को एक बार फिर झटका लगा। जेडीयू के कई नेता एमसीडी चुनाव के प्रचार में लगे थे, लेकिन सफलता नहीं मिली।
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

राजनीतिक विशेषज्ञ और बीजेपी के वरीय नेता सुधीर शर्मा कहते हैं कि जेडीयू का यूपी लड़ने का फैसला सिंबॉलिक है। लोक सभा चुनाव के पहले जेडीयू माहौल बनाने की निकाय चुनाव में उतरने जा रही है। दरअसल, कई राज्यों में समर्थ उम्मीदवार होते हैं, जिन्हें पार्टी का टिकट नहीं मिलता है वैसे लोग जेडीयू या किसी भी पार्टी का सिंबल ले कर चुनावी जंग में उतर जाती है। अब केरल, नागालैंड, अरुणाचल में कोई संघटन का आधार न तो जेडीयू का है और न ही लोजपा का। लेकिन वहां टिकट से वंचित उम्मीदवार इन दलों से टिकट पाकर सिंबल पा जाते हैं। बस यही दरवाजा खोला जा रहा है। कोई तीर मारने थोड़े न जा रही है। यह लोकसभा चुनाव के पहले का एक्सरसाइज भर है।

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