Home Bihar ये है भारत की झूला नगरी, घर-घर में बनते हैं झूले; 8-10 करोड़ का सालाना कारोबार

ये है भारत की झूला नगरी, घर-घर में बनते हैं झूले; 8-10 करोड़ का सालाना कारोबार

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ये है भारत की झूला नगरी, घर-घर में बनते हैं झूले;  8-10 करोड़ का सालाना कारोबार

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नालंदा. बिहार के नालंदा का एक गांव जहां की आधे से ज्यादा आबादी झूला बनाने की व्यवसाय जुड़ी है. परिवार का जीविकोपार्जन चला रही है. यह इलाका मुख्यालय बिहार शरीफ से 25 किलोमीटर दूर स्थित एकंगरसराय प्रखंड का कन्हैयागंज गांव है. जहां वर्षों से झूला बनाने का कारोबार चल रहा है. यहां देश के कोने-कोने से झूला व्यवसाय से जुड़े लोग आकर खरीदारी करते हैं.फिर मनचाहा झूले का ऑर्डर देते हैं, जो मेले या फिर किसी प्रदर्शनी में लोगों को एंटरटेन कराता है.

झूला व्यवसाय से जुड़े विजय विश्वकर्मा बताते हैं कि यह व्यवसाय उनके पिताजी के वक्त से चला आ रहा है. जिसे आज वह चला रहे हैं. पहले इस झूला निर्माण के व्यवसाय में दो से पांच लोगों ने लकड़ी से शुरू किया था.जिसे गांव के लोग ही झूलते थे.पहले एक झूला को बनाने में सालों लग जाता था,लेकिन अब एक झूला बनाने में 3 से 4 महीने का वक्त लगता है.आज इस व्यवसाय से 400 परिवार जुड़ा हुआ है. जहां विभिन्न प्रकार के छोटे और बड़े झूले के साथ बच्चों के लिए आकर्षक डिज़ाइन का बनाया जाता है. इसे बनाने में लाखों रुपए खर्च होते हैं.इस व्यवसाय का सालाना आय 8 से 10 करोड़ रुपये है.

विदेशों से लोग निर्माण की जानकारी लेने पहुंचे
इस झूला उद्योग के निर्माण के लिए यहां कई विदेशी टीम भी आ चुकी है.यहां रहकर उसके निर्माण की जानकारी व झूला निर्माण में इस्तेमाल मटेरियल के बारे में जाना और कारीगरों के काम को सराहा भी है. जिसके बाद इस गांव में झूला क्लस्टर बनाने और इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कन्हैयागंज गांव पहुंचे और इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारी से मिलकर बढ़ावा देने का हर संभव भरोसा दिलाया.

कन्हैयागंज में झूला उद्योग के लिए क्लस्टर का निर्माण कर दिया
कन्हैयागंज में झूला उद्योग के लिए क्लस्टर का निर्माण कर दिया गया है. यहां रोलिंग मिल के लिए मशीनें भी लगा दी गई है. जहां पंजाब से एक्सपर्ट आकर इसे सेट किया है. झूला क्लस्टर के लिए 4 करोड़ 56 लाख़ 54 हज़ार रुपए खर्च हुआ. जिसे उद्योग विभाग ने 4 किश्त में पैसा दिया है. जिससे लोगों के लिए रोजगार का अवसर बढ़ गया है. और बहुत जल्द झूला क्लस्टर की शुरुआत होने वाली है. एकंगरसराय प्रखंड के आसपास गांव में कुल 33 छोटे बड़े झूला बनाने के कारखाने हैं. जिससे 6 हज़ार कारोबारी, कारीगर और मजदूर जुड़े हैं. यहां के झूला की ख्याति देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है.

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पहले प्रकाशित : 16 मार्च, 2023, 08:21 पूर्वाह्न IST

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