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तेजस्वी का सवर्ण दांव से उपचुनाव में कितना फायदा
हाल के दिनों में देखा जाए तो राजद नेता तेजस्वी यादव की नजर सवर्ण मतदाताओं पर टिकी है। विधान परिषद चुनाव में इस वर्ग के मतदाताओं को रिझाने के लिए उन्होंने सवर्ण प्रत्याशी भी उतारे, जिसका लाभ भी उन्हें मिला। राजद का वोट बैंक MY (मुस्लिम और यादव) मतदाता को माना जाता रहा है, जबकि तेजस्वी इस समीकरण से आगे बढ़ाते हुए राजद को ए टू जेड की पार्टी बताते रहे हैं। इस दांव का भूमिहार बहुल बोचहां विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में कितना लाभ राजद को मिलता है, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा।
वीआईपी के लिए भी अग्निपरीक्षा से कम नहीं बोचहां उपचुनाव
यह उपचुनाव भाजपा और एनडीए से कुछ ही दिन पहले बाहर किए गए वीआईपी के लिए भी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। भाजपा का दावा है कि उसका जनाधार तमाम जातियों में है। बोवहा में मतदाताओं की बात करें तो मल्लाह मतदाता भी चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। यह चुनाव परिणाम यह भी साबित करेगा कि मुकेश सहनी के एनडीए से निकल जाने के बाद मल्लाह मतदाताओं का वोट भाजपा को मिला या नहीं। इससे मुकेश सहनी की सहनी (मल्लाह) वोटों पर पकड़ है या नहीं यह भी साफ हो जाएगा। इस चुनाव में वीआईपी और राजद दोनों को भूमिहार मतदाताओं से आस जगी है। राजद को उम्मीद है कि बिहार विधान परिषद चुनाव में जिस तरह से राजद के भूमिहार उम्मीदवार जीते हैं, उससे भूमिहार वोटरों का झुकाव उसकी तरफ हो सकता है।
मुकेश सहनी को मल्लाह के अलावा पासवान वोटर से आस
सहनी को भी मल्लाह के अलावा पासवान वर्ग के मतदाताओं पर आस है। वैसे, मतदान के बाद ये सभी तीनों दलों अपने-अपने जीत का दावा कर रहे हैं। तीनों दलों के नेता सामाजिक समीकरणों के आधार पर जोड़-घटाव कर चुनाव परिणाम को अपनी ओर होने का दावा ठोंक रहे हैं, लेकिन किनके दावे में कितनी सच्चाई है, इसका पता तो 16 अप्रैल को ही चलेगा, जब चुनाव परिणाम आएगा। वैसे, परिणाम किसी भी दल के पक्ष में आए इतना तय है कि बोचहा का चुनाव परिणाम बिहार के भविष्य की राजनीति से जुडे कई प्रश्नों का उत्तर दे जाएगा।
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