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गया. वैसे तो गया जी में सालों भर पिंडदान करने का विधान है. लेकिन भाद्रपद और पौष महीने में पिंड दान का विशेष महत्व है. पौष मास खरमास का महीना है और इस महीने में कोई शुभ कार्य नहीं करता है. मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान करते हैं, इससे पहले पिंडदानी गया जी आकर पितरों की आत्मा की शांति व मोक्ष प्राप्ति के लिए कर्म कांड संपन्न करते हैं. कहा जाता है की पौष मास में पिंडदान करने से पितरों को न केवल जन्म मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है, बल्कि कर्मकांड करने वाले पिंडदानियों को उनके पितरों से सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं
गया में पौष मास में होने वाले पिंडदान को मिनी पितृपक्ष भी कहा जाता है. जिसकी शुरुआत हो गई है. इस बार करीब 3 लाख से अधिक पिंडदानी गया जी पहुंचने की उम्मीद है. बताया जाता है इस पितृपक्ष में पिंडदानी एक तथा तीन दिनी पिंडदान का कर्मकांड करते हैं. लेकिन इस महीने में होने वाले पिंडदान को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. चाहे व साफ-सफाई को लेकर हो या उनके रहने ठहरने की सुविधा. भाद्र मास में होने वाले पिंडदान को लेकर जिला प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ काम करते हैं, लेकिन इस बार कुछ खास देखने को नहीं मिल रहा है.
घाट पर घूमते कई जानवर
विष्णुपद देवघाट के पास पिंडदान करने आए श्रद्धालु जिला प्रशासन की व्यवस्था से खुश नहीं दिखाई दे रहे हैं. इसके पीछे कारण है घाटों की साफ-सफाई नहीं होना. आवारा जानवरों से श्रद्धालुओं को परेशानी होना. घाट पर कई जानवर खुले घूम रहे हैं, जिस कारण श्रद्धालुओं को पूजा- पाठ में परेशानी हो रही है. नगर निगम के द्वारा पिंडदानियों के लिए वाटर एटीएम लगाया था, लेकिन उसमें भी ताला जड़ा हुआ है. जिस कारण लोगों को पानी की सुविधा नहीं मिल रही है.
नगर निगम की व्यवस्था नाकाफी
न्यूज 18 लोकल से बात करते हुए विष्णुपद फल्गु सेवा समिति के सदस्य बैजनाथ चौधरी एवं गोविंद चौधरी बताते हैं. मिनी पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है, लेकिन जिला प्रशासन और नगर प्रशासन के द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिससे रोजाना आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो रही है. यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है. श्रद्धालुओं को मल मूत्र के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है. आवारा पशुओं से भी श्रद्धालु परेशान है.
कहा जाता है पौष मास में पिंडदान करने से पितरों को न केवल जन्म मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है. बल्कि कर्मकांड करने वाले पिंडदानियों को उनके पितरों से सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
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प्रथम प्रकाशित : 11 दिसंबर, 2022, 13:49 IST
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