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दरभंगा. कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय द्वारा पटना के गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में प्रदेश में पहली बार आयोजित किए गए मखाना महोत्सव सह राष्ट्रीय सम्मेलन 2022 को लेकर विद्यापति सेवा संस्थान ने आपत्ति जताई है. कारण है कि पटना में होने वाले मखाना महोत्सव में बिहार का मखाना नाम से ब्रांडिंग की जा रही है. वहीं, विद्यापति सेवा संस्थान का कहना है कि जब GI टैग ‘मिथिला मखाना’ नाम से मिला हुआ है, तो फिर ब्रांडिंग किसी और नाम से क्यों हो रही है. यह मिथिला के लोगों के साथ छलावा है.
स्थानीय किसानों का कहना है कि मखाने को लेकर कोई अगर मिथिला के किसी क्षेत्र में कार्यक्रम होता तो हम लोग पहुंच सकते थे. इससे कुछ लाभ ले सकते थे. जबकि मखाने की खेती पूरी दुनियाभर के अपेक्षा मिथिला और खासकर दरभंगा, मधुबनी जिले में बृहद पैमाने पर की जाती है. पूरी दुनिया का 90 फीसदी मखाना यहीं होता है, लेकिन पटना में कार्यक्रम करना मिथिला मखाना किसानों के साथ धोखा है.
‘मिथिला मखाना’ के नाम से मिला जीआई टैग
विद्यापति सेवा संस्थान ने कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय द्वारा पटना के गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन में प्रदेश में पहली बार आयोजित किया गया है. मखाना महोत्सव सह राष्ट्रीय सम्मेलन 2022 में मिथिला के मखान को ‘मिथिला मखाना’ के नाम से जीआई टैग मिलने के बाद भी इसे बिहार का मखाना के नाम से प्रचारित कर लोगों को दिग्भ्रमित किए जाने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. संस्थान के महासचिव ने कहा कि मिथिला की सांस्कृतिक पहचान के रूप में ‘पग पग पोखर, माछ, मखान… के सूक्ति वाक्य के साथ मखान का नाम जगजाहिर है. मिथिला देश में मखान का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र है. अब इसे ‘मिथिला मखाना’ के नाम से जीआई टैग भी मिल चुका है. बावजूद इसके मिथिला के मखान की ब्रांडिंग को लेकर राज्य सरकार द्वारा भ्रम की स्थिति उत्पन्न करना निन्दनीय है. मिथिला की सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक मखाना की ब्रांडिंग ‘मिथिला मखाना’ के रूप में करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मखाना महोत्सव में यदि ‘मिथिला मखाना’ नाम को यथोचित स्थान नहीं मिला तो आठ करोड़ मैथिल आन्दोलन को मजबूर होंगे.
ब्रांडिग मिथिला मखान के नाम से हो
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि मिथिला में मखान की खेती को युद्ध स्तर पर बढ़ावा देने के लिए इसकी ब्रांडिग मिथिला मखान के नाम से करते हुए इस उद्योग का विकास किया जाना चाहिए. इससे होने वाली आय को न सिर्फ मिथिला क्षेत्र के विकास में लगाया जा सके बल्कि इससे मिथिला में रोजगार सृजन की संभावना भी मजबूत हो सकेगी.
कई देशों में मखाने को लोग काफी पसंदीदा व्यंजन मानते हैं
महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने कहा कि यदि जीआई टैग के तहत मखाना को मिले नाम के अनुरूप इसकी ब्रांडिंग मिथिला मखाना के नाम से होगी, तो मखाना के विपणन की बेहतर सुविधा यहां के मखाना उत्पादकों को मिल सकेगी. मिथिला के मखान को दुनिया के 100 से अधिक देशों के लोग बड़े चाव से खाते हैं. यही कारण है कि दुनिया के मखाना उत्पादन में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 85 से 90 फीसदी है.
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प्रथम प्रकाशित : 01 दिसंबर, 2022, 10:39 पूर्वाह्न IST
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