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नए साल में विपक्षी एकजुटता की फिर होगी कोशिश
नीतीश कुमार चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीट पर बीजेपी के सामने एक ही उम्मीदवार हो। इसके लिए वह मायावती को भी अपने मिशन में शामिल करना चाहते हैं। उन्होंने अपने एक विश्वासी नेता को संपर्क सूत्र खुलवाने को कहा है। हालांकि, मायावती के मौजूदा रुख को देखते हुए अखिलेश यादव और कांग्रेस दोनों को इसमें संदेह है कि बीएसपी विपक्षी एकता को स्वीकार करेगी। नीतीश का मानना है कि मायावती के लिए यह सियासी विकल्प नहीं बल्कि सियासी मजबूरी होगी।
नीतीश कुमार फिर नेताओं से संपर्क में
अभी नीतीश कुमार की दूसरी कोशिश बीजेपी के खिलाफ उत्तर-पूर्व में एक व्यापक गठबंधन बनाने की है। इसके लिए वह बदरुद्दीन अजमल के अलावा टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ संपर्क में हैं। साथ ही वह त्रिपुरा में भी बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बनाने के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि अगर सही तरीके से गठबंधन हुआ तो बीजेपी और उनके सहयोगियों को उत्तर-पूर्व में भी बड़ा नुकसान दिया जा सकता है। जहां एनडीए ने पिछले लगातार दो आम चुनावों में क्लीन स्वीप किया है।
कांग्रेस को साथ लेकर चलने का है प्लान
जेडीयू सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार यह भी मानते हैं कि बिना कांग्रेस के विपक्षी एकता मुमकिन नहीं है, इसीलिए कांग्रेस को वह इन तमाम कोशिशों में लूप में रखना चाहेंगे। पिछले दिनों जब नीतीश कुमार की सोनिया गांधी से मुलाकात हुई थी तो उसमें इसी बात पर सहमति बनी थी कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद और गुजरात-हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद 2024 के लिए विपक्षी एकता की कोशिश फिर से शुरू होगी।
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