Home Bihar माउंटेन मैन दशरथ मांझी के गांव के अस्पताल में स्‍टाफ की चलती है मर्जी, जब चाहे तब कर देते हैं बंद

माउंटेन मैन दशरथ मांझी के गांव के अस्पताल में स्‍टाफ की चलती है मर्जी, जब चाहे तब कर देते हैं बंद

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माउंटेन मैन दशरथ मांझी के गांव के अस्पताल में स्‍टाफ की चलती है मर्जी, जब चाहे तब कर देते हैं बंद

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रिपोर्ट: कुंदन कुमार

गया. बिहार के गया जिला स्थित गहलोर में बने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के पीछे एक कहानी है. कहानी उस शख्‍स की है जिन्होंने अकेले 22 वर्षों तक छेनी और हथौड़ी के दम पर पहाड़ का सीना चीरते हुए रास्ता बनाया था. हम बात कर रहे हैं माउंटेन मैन दशरथ मांझी की. दशरथ मांझी जब पहाड़ के उस पार जंगल में लकड़ी काटने जाया करते थे, तब उनकी पत्नी फगुनिया उनके लिए खाना लेकर जाती थीं, लेकिन एक दिन फगुनिया फिसल कर पहाड़ से गिर गईं. इसके बाद उनको इलाज के लिए वजीरगंज ले जाया गया था. वजीरगंज की दूरी 55 किलोमीटर होने के कारण वह समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाई और उसकी मौत हो गई थी.

इसके बाद दशरथ मांझी अपने पत्नी के खातिर ठाना कि वह पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बनाएंगे, ताकि दूसरे लोगों को अस्पताल जाने में परेशानी न हो और समय पर इलाज मिले. इसके लिए वह अकेले 22 साल तक पहाड़ के सीने को चीरते रहे और एक दिन सफलता हाथ लगी. इससे वजीरगंज की दूरी जो 55 किलोमीटर थी, वह सिर्फ 15 किलोमीटर रह गई.

आपके शहर से (गया)

दशरथ मांझी के संघर्ष को लग रहा पलीता
दशरथ मांझी के संघर्ष की कहानी जब पूरे देश में फैली, तो सरकार का ध्यान उनके गांव गहलोर पर गया और वहां हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निर्माण कराया गया. इस उद्देश्य के साथ अस्पताल का निर्माण कराया गया कि पिछड़े इलाके के लोगों को समय पर इलाज मिल सके, लेकिन जब न्यूज़ 18 लोकल की टीम अस्पताल की रियलिटी चेक करने गहलोर पहुंची तो स्थिति बेहद बदहाल थी. बताया जाता है कि यहां के कर्मचारी मनमानी करते हैं और जब मन हुआ तब अस्पताल बंद करके चले जाते हैं. दोपहर 2 बजे अस्पताल का गेट बंद था और ताला लगा हुआ मिला. जबकि सरकारी आदेश के अनुसार, अस्पताल के खुलने का समय सुबह 8 बजे और बंद करने का समय शाम 5 बजे तक है, लेकिन इस हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थिति ऐसी है कि यह सुबह 10 बजे खुलता है और दोपहर 2 बजे ही बंद हो जाता है.

सीएस ने कही ये बात
यहां पदस्थापित नर्स से बात करने की कोशिश की तो उन्‍होंने बताया यहां स्टॉफ की कमी है. इस कारण अस्पताल 2 बजे तक बंद हो जाता है. जरूरत पड़ने पर अस्पताल को खोला जाता है और मरीजों का इलााज किया जाता है. इस संदर्भ में जब न्यूज़ 18 लोकल ने गया के सिविल सर्जन डॉ. रंजन कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि उस अस्पताल में स्टॉफ की कमी है और अगले सप्ताह हम वहां विजिट करेंगे. हम इंश्योर कर रहे हैं कि जो भी वहां स्टॉफ है, समय पर रहेगा. जल्द स्टॉफ की प्रतिनियुक्ति की जाएगी.

लोगों की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर रहा अस्पताल
अब सवाल यह उठता है कि जिस उद्देश्य के साथ इस इलाके में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का निर्माण कराया गया था. क्या यह अस्पताल लोगों की आकांक्षाओं को पूरा कर रहा है? तो जवाब है नहीं, क्योंकि जब अस्पताल बंद रहेगा तो लोगों का इलाज कैसे हो पाएगा. जरूरत है जल्द से जल्द ऐसे इलाके के अस्पतालों में संसाधन उपलब्ध कराने की, ताकि लोगों को समय पर इलाज मिल सके.

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