Home Bihar मां-बाप लखीसराय में छोड़ गए, किस्मत स्वीडन ले जा रही: बेगूसराय के अनाथालय से दंपति ने धर्मराज को लिया गोद

मां-बाप लखीसराय में छोड़ गए, किस्मत स्वीडन ले जा रही: बेगूसराय के अनाथालय से दंपति ने धर्मराज को लिया गोद

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मां-बाप लखीसराय में छोड़ गए, किस्मत स्वीडन ले जा रही: बेगूसराय के अनाथालय से दंपति ने धर्मराज को लिया गोद

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अपनाने वाले माता-पिता के साथ धर्मराज।

अपनाने वाले माता-पिता के साथ धर्मराज।
– फोटो : अमर उजाला

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कल तक वह अनाथ था। उसके भविष्य पर प्रश्न था। लेकिन, आज उसकी किस्मत ने उसे न सिर्फ माता-पिता दे दिया, बल्कि एक सुनहरा भविष्य भी दे दिया। बेगूसराय के अनाथालय में रहने वाले दो साल के धर्मराज कुमार को जन्म देने वाले माता-पिता ने ठुकरा दिया था, अब स्वीडन की एक दंपति ने उसे गले लगा लिया। बचपन से ही माँ-बाप के प्यार से महरूम धर्मराज अब विदेश में अपने नए माता–पिता के साथ जिंदगी जिएगा। वह दो वर्षों से बेगूसराय के विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान मे रह रहा था। कुछ दिन पहले पटना से भी एक बच्चा विदेश गया है।

धर्मराज के दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया डेढ़ साल चली
कागजाती प्रक्रिया पूरी कर शनिवार को विदेशी दंपति ने उसे गोद ले लिया। धर्मराज को दो वर्ष पहले लखीसराय जिला की बाल कल्याण समिति ने बेगूसराय के विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान भेजा था। तब से धर्मराज यहीं रह रहा था। जब स्वीडन के डेनियल और कैटरीना यहां आए तो उन दोनों को यह बहुत पसंद आया। फिर दोनों उसे गोद लेने की प्रक्रिया मे जुट गए। इस प्रक्रिया को पूरा करने में उन्हें तकरीबन डेढ़ साल लग गए। पिछले दो साल से धर्मराज को पाने के लिए लालायित डेनियल और कैटरीना बेगूसराय पहुंचे। फिर पूरी प्रक्रिया कर बच्चे को उन्हें सौंप दिया गया। स्वीडन निवासी कैटरीना और डेनियल बच्चे को गोद लेने के लिए सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) की साइट पर बिहार को चुना था। डेनियल एक बड़े बिजनेसमैन हैं और उनकी पत्नी कैटरीना एक लाइब्रेरियन हैं।

दूर जा रहा, लेकिन भविष्य बेहतर होने की खुशी
विशेष दत्तक ग्रहण केंद्र की समन्वयक रितु सिंह ने बताया कि धर्मराज आज उनसे दूर जा रहा है, लेकिन ख़ुशी की बात यह है कि अब उसका भविष्य बेहतर बन जाएगा। उन्होंने कहा कि दत्तक ग्रहण करने से पहले कई तरह की प्रक्रियाएं की जाती हैं, जिसमें मुख्य रूप से गोद लेने वाले की आर्थिक स्थिति और उनका स्वभाव  देखा जाता है। डीएम रोशन कुशवाहा ने बताया कि 3 दिनों के 4 बच्चों को स्वदेशी दंपत्ति ने गोद लिया है, जबकि एक बच्चे को विदेशी दंपति अपने साथ विदेश ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश यही रहती है कि अनाथ बच्चों को सही माता-पिता मिल जाएं तो उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।

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कल तक वह अनाथ था। उसके भविष्य पर प्रश्न था। लेकिन, आज उसकी किस्मत ने उसे न सिर्फ माता-पिता दे दिया, बल्कि एक सुनहरा भविष्य भी दे दिया। बेगूसराय के अनाथालय में रहने वाले दो साल के धर्मराज कुमार को जन्म देने वाले माता-पिता ने ठुकरा दिया था, अब स्वीडन की एक दंपति ने उसे गले लगा लिया। बचपन से ही माँ-बाप के प्यार से महरूम धर्मराज अब विदेश में अपने नए माता–पिता के साथ जिंदगी जिएगा। वह दो वर्षों से बेगूसराय के विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान मे रह रहा था। कुछ दिन पहले पटना से भी एक बच्चा विदेश गया है।

धर्मराज के दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया डेढ़ साल चली

कागजाती प्रक्रिया पूरी कर शनिवार को विदेशी दंपति ने उसे गोद ले लिया। धर्मराज को दो वर्ष पहले लखीसराय जिला की बाल कल्याण समिति ने बेगूसराय के विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान भेजा था। तब से धर्मराज यहीं रह रहा था। जब स्वीडन के डेनियल और कैटरीना यहां आए तो उन दोनों को यह बहुत पसंद आया। फिर दोनों उसे गोद लेने की प्रक्रिया मे जुट गए। इस प्रक्रिया को पूरा करने में उन्हें तकरीबन डेढ़ साल लग गए। पिछले दो साल से धर्मराज को पाने के लिए लालायित डेनियल और कैटरीना बेगूसराय पहुंचे। फिर पूरी प्रक्रिया कर बच्चे को उन्हें सौंप दिया गया। स्वीडन निवासी कैटरीना और डेनियल बच्चे को गोद लेने के लिए सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) की साइट पर बिहार को चुना था। डेनियल एक बड़े बिजनेसमैन हैं और उनकी पत्नी कैटरीना एक लाइब्रेरियन हैं।

दूर जा रहा, लेकिन भविष्य बेहतर होने की खुशी

विशेष दत्तक ग्रहण केंद्र की समन्वयक रितु सिंह ने बताया कि धर्मराज आज उनसे दूर जा रहा है, लेकिन ख़ुशी की बात यह है कि अब उसका भविष्य बेहतर बन जाएगा। उन्होंने कहा कि दत्तक ग्रहण करने से पहले कई तरह की प्रक्रियाएं की जाती हैं, जिसमें मुख्य रूप से गोद लेने वाले की आर्थिक स्थिति और उनका स्वभाव  देखा जाता है। डीएम रोशन कुशवाहा ने बताया कि 3 दिनों के 4 बच्चों को स्वदेशी दंपत्ति ने गोद लिया है, जबकि एक बच्चे को विदेशी दंपति अपने साथ विदेश ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश यही रहती है कि अनाथ बच्चों को सही माता-पिता मिल जाएं तो उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।



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