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चूने में सिर के अलावा चावल की भूसी का चूना भी बाजार में खूब बिक रहा था।
– फोटो : अमर उजाला
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बिहार में मकर संक्रांति को लेकर उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। भीषण ठंड के कारण नहाने से बचने वाले भी रविवार को नहाकर ही चूड़ा, दही, गुड़, तिलकुट, तिलवा, बंगला आदि पहले सूर्य भगवान को समर्पित करेंगे, फिर खुद खाएंगे। बिहार में चूड़ा की क्वालिटी कितनी है, यह बताना आसान नहीं। कहीं सफेद तो कहीं लाल चूड़ा मिलेगा। कहीं पतला तो कहीं मोटा दाने जैसा चूड़ा। कहीं प्राकृतिक सुगंध वाला। चूड़ा में अब भी भागलपुरी कतरनी चूड़ा का दबदबा है, जबकि तिलकुट में गया का जलवा कम नहीं हुआ है। भागलपुरी कतरनी चूड़ा राष्ट्रपति भवन तक जाता है तो गया का तिलकुट भी। दही का बाजार जरूर बदला है। कभी मिथिलांचल से दही मंगाकर लोग खाते थे, लेकिन अब हर तरफ पैकेट हावी है।
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