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बिहार में पांच सीटों पर विधान परिषद चुनाव होने हैं। नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद पूरा गुणा-गणित इधर से उधर हो गया है। वहीं, कांग्रेस और हम पार्टी को टिकट नहीं मिलने से भी मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। जबकि, गया स्नातक क्षेत्र में कांटे का मुकाबला कहा जा रहा है। यहां बीजेपी के सिटिंग एमएलसी का टक्कर बिहार आरजेडी अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे से है।
महागठबंधन का सबसे बड़ा टास्क
विधान परिषद की पांच सीटों पर जीत के लिए महागठबंधन को अपने सारे दलों को एक प्लेटफॉर्म पर लाना होगा। सभी वोटरों को महगठबंधन के उम्मीदवारों के लिए प्रेरित करना होगा। ऐसा इसलिए कि महगठबंधन में शामिल दो दलों को सीट नहीं मिलने की शिकायत शीर्ष नेताओं से है। कांग्रेस दो सीटों पर और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा एक सीट पर चुनाव लड़ना चाह रही थी। इस वजह से दोनों ही पार्टियों के नेताओं में नाराजगी है। कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में तो अजीत सिंह चुनाव प्रचार करने लगे थे। ऐसे में उनकी ओर से बनाए गए वोटर जदयू के उम्मीदवार की तरफ शिफ्ट कर जाते हैं तो ये महागठबंधन के लिए बेहतर साबित होगा। इसी तरह चुनाव नहीं लड़ रही हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को भी महागठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में बनाए गए वोटरों को लाना होगा। तभी महागठबंधन अपनी सीट बचाने में सफल हो पाएगा।
महागठबंधन के निशाने पर गया स्नातक क्षेत्र
वैसे, महागठबंधन की कोशिश सबसे ज्यादा गया स्नातक क्षेत्र पर है। ऐसा इसलिए कि एक यही सीट है जो भाजपा की सिटिंग सीट है। इसके अलावा गया शिक्षक, कोसी शिक्षक, सारण शिक्षक और सारण स्नातक पर महागठबंधन का कब्जा रहा है। महागठबंधन की कोशिश है कि पांचों सीट पर जीत हासिल कर भाजपा से उपचुनाव का बदला लिया जाए।
MLC चुनाव को लेकर भाजपा की रणनीति
भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव को अवसर के रूप में देख रही है। भाजपा चाहती है कि एक सीट सिटिंग तो है ही, एक और सीट मिल जाएगी तो वो विधान परिषद में जदयू से बड़ी पार्टी बन जाएगी यानी जदयू दो हारे और भाजपा दो जीते। भाजपा की नजर में गया स्नातक क्षेत्र, गया शिक्षक क्षेत्र और सारण स्नातक क्षेत्र पर है। सारण स्नातक क्षेत्र की स्थिति है कि ये सीट जदयू की सिटिंग है। यहां से वीरेंद्र यादव सिटिंग विधान पार्षद हैं। मगर इनका सामना कांग्रेस के समय में कई बार इस स्नातक क्षेत्र से विजय प्राप्त किए पुराने खिलाड़ी महाचंद्र प्रसाद सिंह से हैं। पुराने कांग्रेसी रहने के कारण नाराज कांग्रेसियों का साथ मिल सकता है। ऐसा हुआ तो भाजपा ये सीट निकाल सकती है।
अवधेश नारायण सिंह Vs जगदानंद सिंह के बेटे
हालांकि, महागठबंधन के निशाने पर गया स्नातक क्षेत्र से पुराने खिलाड़ी यानी अवधेश नारायण सिंह हैं। इन्हें हराने के लिए राजद ने अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे पुनीत कुमार सिंह को चुनावी जंग में उतारा है। पुनीत कुमार पहली बार चुनावी जंग में शामिल हैं। यहां उनके पिता जगदानंद सिंह कमान संभालेंगे। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि अभी जो स्थिति है, उसके मुताबिक सीटें यथावत ही रहेगी। तीन जदयू, एक भाजपा और एक सीपीआई के पास सीट रहेगी।
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