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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: रोमा रागिनी
Updated Fri, 11 Feb 2022 12:53 PM IST
सार
राज्य में सभी अपंजीकृत छोटे-बड़े मंदिरों को रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके तहत उन्हें अपनी सालाना आय का चार प्रतिशत राज्य धार्मिक न्यास को देना होगा। इसमें घरों में बने वे मंदिर भी शामिल हैं, जिनमें परिवार के अलावा अन्य लोग भी पूजा करने आते हैं।
बिहार सरकार ने मांगी मंदिरों की जानकारी
– फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
बिहार सरकार ने सभी जिलों के मजिस्ट्रेट को उनके जिलों के रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड मंदिर और धर्मशालाओं की जानकारी जुटाने के निर्देश दिए हैं। 38 जिलों के मजिस्ट्रेट को दो महीने में मंदिर और धर्मशालाओं के बारे में बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद (BSRTC) को जानकारी देनी है।
बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के चेयरमैन अखिलेश कुमार जैन ने बताया कि नौ संभाग से जानकारी मिलने के बाद धार्मिक न्यास परिषद अपंजीकृत मंदिरों और धर्मशालाओं को बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद में पंजीकृत कराने के लिए कहेगी। मगध, सारण और कोशी के डिविजनल कमिश्नरों ने धर्म न्यास परिषद को दो महीने में उनके जिलों के पंजीकृत और अपंजीकृत मंदिरों और धर्मशाला की लिस्ट भेजने का आश्वासन दिया है।
जैन ने बताया कि धार्मिक न्यास परिषद ने अन्य संभागों के कमिश्नरों से यही मांग की है। इसके लिए दरभंगा और पटना के डीसी के साथ 11 फरवरी और 12 फरवरी को वर्चुअल मीटिंग रखी गई है। बिहार हिंदू धर्म ट्रस्ट एक्ट 1950 के तहत राज्य के सभी सार्वजनिक और धर्मशालाओं को बीएसआरटीसी में रजिस्टर कराना अनिवार्य है। इसके तहत पंजीकरण हो जाने के बाद मंदिरों और धर्मशाला को सालाना अपनी कुल आय का चार प्रतिशत धर्म न्यास परिषद को देना होगा।
10 हजार से अधिक सार्वजनिक मंदिर
राज्य में लगभग 4 हजार 500 मंदिर रजिस्टर हैं, जिनमें से सिर्फ 250 से 300 मंदिर BSRTC को टैक्स चुकाते हैं। राज्य में 10 हजार से अधिक पंजीकृत और अपंजीकृत सार्वजनिक मंदिर हैं। अखिलेश जैन ने बताया कि किसी के घर में बना मंदिर अगर लोगों के लिए खुला है तो उन्हें ट्रस्ट से रजिस्टर कराना चाहिए। मंदिर तभी प्राइवेट की श्रेणी में आ सकता है, जब सिर्फ परिवार वाले वहां पूजा करते हों।
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