Home Bihar बिहार: ‘संजीवनी बूटी’ माने जाने वाले औषधीय पौधे को जैव विविधता कार्यक्रम में प्रदर्शित करेगी सरकार

बिहार: ‘संजीवनी बूटी’ माने जाने वाले औषधीय पौधे को जैव विविधता कार्यक्रम में प्रदर्शित करेगी सरकार

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बिहार: ‘संजीवनी बूटी’ माने जाने वाले औषधीय पौधे को जैव विविधता कार्यक्रम में प्रदर्शित करेगी सरकार

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सार

बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड के प्रमुख डी के शुक्ला ने बताया कि ‘सिलेजिनेला ब्रायोप्टेरिस’ (संजीवनी) नामक औषधीय गुण वाला यह पौधा राज्य के रोहतास जिले में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस पौधे में गंभीर तंत्रिका तंत्र विकारों को ठीक करने के गुण हैं।

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बिहार सरकार ने एक औषधीय पौधे को इस महीने के अंत में चेन्नई में आयोजित होने वाले जैव विविधता प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने का फैसला किया है। स्थानीय लोग इस पौधे को ‘संजीवनी बूटी’ के समान मानते हैं, जिसने रामायाण में लक्ष्मण का जीवन बचाया था।

बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड के प्रमुख डी के शुक्ला ने बताया कि ‘सिलेजिनेला ब्रायोप्टेरिस’ (संजीवनी) नामक औषधीय गुण वाला यह पौधा राज्य के रोहतास जिले में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस पौधे में गंभीर तंत्रिका तंत्र विकारों को ठीक करने के गुण हैं।

राज्य सरकार ने लखनऊ के बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान (बीएसआईपी) से सीतामढ़ी जिले के उस विशालकाय ‘पाकड़’ वृक्ष की आयु का पता लगाने का अनुरोध किया है, जिसके बारे में माना जाता है कि भगवान राम से विवाह के बाद देवी सीता ने अयोध्या जाने के दौरान वहां रूककर आराम किया था। लगभग एक एकड़ भूमि में फैला यह प्राचीन वृक्ष पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र और तीर्थ स्थल बन गया है।

‘संजीवनी बूटी’ को लेकर शुक्ला ने कहा, ‘चूंकि, इस पौधे में उपचार के विशेष गुण हैं इसलिए हमने इसे चेन्नई की प्रदर्शनी में भेजने का निर्णय लिया है।’ गौरतलब है कि 22 मई को अंतररष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर चेन्नई में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।

शुक्ला ने कहा कि रोहतास जिले के “संजीवनी बूटी” के पौधों का उल्लेख ‘फ्लोरा ऑफ ब्रिटिश इंडिया’ नामक एक शोध पत्र में किया गया था, जिसे 1890 में वनस्पतिशास्त्री और खोजकर्ता सर जेडी हूकर द्वारा तैयार किया गया था। इसे अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डेविस लाइब्रेरी में रखा गया है।

रामायण में वर्णित चिकित्सीय “संजीवनी बूटी” के गुणों वाला यह पौधा मुख्य रूप से रोहतास जिले के मणि गांव के आसपास पाया जाता है। रामायम में, रावण के पुत्र मेघनाद ने लंका में युद्ध के दौरान राम के भाई लक्ष्मण पर एक तीर चलाया था जिसके बाद वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े थे। इसके बाद हनुमान को हिमालय की एक पहाड़ी से कुछ औषधीय पौधे लाने के लिए कहा गया था। उसे पहचानने में असमर्थ होने पर हनुमान पूरा पहाड़ ले आए थे। इसके बाद लक्ष्मण की जान बचाई गई थी।

बिहार सरकार ने केंद्र सरकार के तहत आने वाले स्वायत्त संस्थान बीएसआईपी से सीतामढ़ी जिले के पंथ-पाकड़ गांव में स्थित ‘पाकड़’ के पेड़ और मुंगेर जिला के एक प्रमुख निजी कंपनी के परिसर के अंदर एक विशाल बरगद के पेड़ की उम्र निर्धारित करने का भी आग्रह किया है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया, “हमने बीएसआईपी से इन दो पेड़ों की उम्र निर्धारित करने का अनुरोध किया है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये पेड़ बहुत प्राचीन हैं।” उन्होंने कहा कि इन दोनों पेड़ों की सुरक्षा के लिए सभी प्रबंध किए गए हैं।

मुजफ्फरपुर रेंज (जिसमें सीतामढ़ी जिला भी शामिल है) के वन संरक्षक सुधीर कुमार कर्ण ने कहा, “लोककथाओं के अनुसार, पंथ-पाकड़ गांव का विशाल पाकड़ पेड़ वही पेड़ है जिसके नीचे देवी सीता ने अपनी शादी के बाद अयोध्या की ओर जाते समय विश्राम किया था।” कर्ण ने कहा कि पूरे मिथिला क्षेत्र, जिसमें बिहार, झारखंड और नेपाल के पूर्वी तराई जिले शामिल हैं, के लोग यहां पूजा करने आते हैं।

विस्तार

बिहार सरकार ने एक औषधीय पौधे को इस महीने के अंत में चेन्नई में आयोजित होने वाले जैव विविधता प्रदर्शनी में प्रदर्शित करने का फैसला किया है। स्थानीय लोग इस पौधे को ‘संजीवनी बूटी’ के समान मानते हैं, जिसने रामायाण में लक्ष्मण का जीवन बचाया था।

बिहार राज्य जैव विविधता बोर्ड के प्रमुख डी के शुक्ला ने बताया कि ‘सिलेजिनेला ब्रायोप्टेरिस’ (संजीवनी) नामक औषधीय गुण वाला यह पौधा राज्य के रोहतास जिले में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि इस पौधे में गंभीर तंत्रिका तंत्र विकारों को ठीक करने के गुण हैं।

राज्य सरकार ने लखनऊ के बीरबल साहनी पुरावनस्पतिविज्ञान संस्थान (बीएसआईपी) से सीतामढ़ी जिले के उस विशालकाय ‘पाकड़’ वृक्ष की आयु का पता लगाने का अनुरोध किया है, जिसके बारे में माना जाता है कि भगवान राम से विवाह के बाद देवी सीता ने अयोध्या जाने के दौरान वहां रूककर आराम किया था। लगभग एक एकड़ भूमि में फैला यह प्राचीन वृक्ष पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र और तीर्थ स्थल बन गया है।

‘संजीवनी बूटी’ को लेकर शुक्ला ने कहा, ‘चूंकि, इस पौधे में उपचार के विशेष गुण हैं इसलिए हमने इसे चेन्नई की प्रदर्शनी में भेजने का निर्णय लिया है।’ गौरतलब है कि 22 मई को अंतररष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर चेन्नई में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।

शुक्ला ने कहा कि रोहतास जिले के “संजीवनी बूटी” के पौधों का उल्लेख ‘फ्लोरा ऑफ ब्रिटिश इंडिया’ नामक एक शोध पत्र में किया गया था, जिसे 1890 में वनस्पतिशास्त्री और खोजकर्ता सर जेडी हूकर द्वारा तैयार किया गया था। इसे अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के डेविस लाइब्रेरी में रखा गया है।

रामायण में वर्णित चिकित्सीय “संजीवनी बूटी” के गुणों वाला यह पौधा मुख्य रूप से रोहतास जिले के मणि गांव के आसपास पाया जाता है। रामायम में, रावण के पुत्र मेघनाद ने लंका में युद्ध के दौरान राम के भाई लक्ष्मण पर एक तीर चलाया था जिसके बाद वह बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े थे। इसके बाद हनुमान को हिमालय की एक पहाड़ी से कुछ औषधीय पौधे लाने के लिए कहा गया था। उसे पहचानने में असमर्थ होने पर हनुमान पूरा पहाड़ ले आए थे। इसके बाद लक्ष्मण की जान बचाई गई थी।


बिहार सरकार ने केंद्र सरकार के तहत आने वाले स्वायत्त संस्थान बीएसआईपी से सीतामढ़ी जिले के पंथ-पाकड़ गांव में स्थित ‘पाकड़’ के पेड़ और मुंगेर जिला के एक प्रमुख निजी कंपनी के परिसर के अंदर एक विशाल बरगद के पेड़ की उम्र निर्धारित करने का भी आग्रह किया है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया, “हमने बीएसआईपी से इन दो पेड़ों की उम्र निर्धारित करने का अनुरोध किया है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये पेड़ बहुत प्राचीन हैं।” उन्होंने कहा कि इन दोनों पेड़ों की सुरक्षा के लिए सभी प्रबंध किए गए हैं।

मुजफ्फरपुर रेंज (जिसमें सीतामढ़ी जिला भी शामिल है) के वन संरक्षक सुधीर कुमार कर्ण ने कहा, “लोककथाओं के अनुसार, पंथ-पाकड़ गांव का विशाल पाकड़ पेड़ वही पेड़ है जिसके नीचे देवी सीता ने अपनी शादी के बाद अयोध्या की ओर जाते समय विश्राम किया था।” कर्ण ने कहा कि पूरे मिथिला क्षेत्र, जिसमें बिहार, झारखंड और नेपाल के पूर्वी तराई जिले शामिल हैं, के लोग यहां पूजा करने आते हैं।

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