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बिहार: विधान परिषद चुनाव परिणाम से नीतीश कुमार हैरान, एनडीए गठबंधन को लेकर कही यह बड़ी बात

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बिहार: विधान परिषद चुनाव परिणाम से नीतीश कुमार हैरान, एनडीए गठबंधन को लेकर कही यह बड़ी बात

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना

द्वारा प्रकाशित: अभिषेक दीक्षित
अपडेट किया गया शनि, 09 अप्रैल 2022 05:11 PM IST

सार

बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए चार अप्रैल को मतदान के बाद गुरुवार को मतगणना में सत्तारूढ़ राजग ने आधे से अधिक पर कब्जा कर अपना दबदबा बरकरार रखा है। लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने भी इस चुनाव में छह सीटें जीत कर अपनी सीटों की संख्या में सुधार करने में कामयाबी हासिल की।

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य विधान परिषद के हालिया चुनाव में एनडीए के कई उम्मीदवारों की हार पर शनिवार को हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि परिणाम के कारण उच्च सदन में एनडीए की संख्या गिर गई है, फिर भी यह चिंता का कारण नहीं है। सत्तारूढ़ गठबंधन खुद को मजबूत करने के लिए काम करता रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका अगले सप्ताह बोचाहन में होने वाले विधानसभा उपचुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जहां उन्हें भाजपा प्रत्याशी की जीत का पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि परिषद का चुनाव ऐसा नहीं था जिसमें उम्मीदवारों को सीधे लोगों द्वारा चुना जाता। फिर भी मैं कई उम्मीदवारों को देखकर हैरान था, जो जीतने के लिए इतने आश्वस्त लग रहे थे, लेकिन हार गए।

दरअसल, बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए चार अप्रैल को मतदान के बाद गुरुवार को मतगणना में सत्तारूढ़ राजग ने आधे से अधिक पर कब्जा कर अपना दबदबा बरकरार रखा है। लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने भी इस चुनाव में छह सीटें जीत कर अपनी सीटों की संख्या में सुधार करने में कामयाबी हासिल की। हालांकि, उसने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जो किसी भी पार्टी के लिए सबसे ज्यादा संख्या थी।

इस चुनाव में चौकाने वाली बात यह है कि विद्रोहियों ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर चार निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की है। बिहार की 75 सदस्यीय विधान परिषद में 24 सदस्यों का कार्यकाल पिछले साल जुलाई में समाप्त हो गया था, लेकिन कोरोना महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण चुनाव स्थगित करना पड़ा था। महामारी के कारण पंचायत चुनाव में देरी होने के कारण विधान परिषद चुनाव में भी देरी हुई।

बिहार में सत्तारूढ़ राजग में शामिल भाजपा ने 12 पर चुनाव लड़ा था और उसने सात सीटों पर जीत हासिल की। पार्टी को सारण जैसी जगहों पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जो पूर्व एमएलसी सच्चिदानंद राय की झोली में गया। राय एक अनुभवी भाजपा नेता थे, जो अपनी पुरानी सीट से टिकट से वंचित होने पर निर्दलीय के रूप में मैदान में कूद गए थे।

विस्तार

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य विधान परिषद के हालिया चुनाव में एनडीए के कई उम्मीदवारों की हार पर शनिवार को हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि परिणाम के कारण उच्च सदन में एनडीए की संख्या गिर गई है, फिर भी यह चिंता का कारण नहीं है। सत्तारूढ़ गठबंधन खुद को मजबूत करने के लिए काम करता रहेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका अगले सप्ताह बोचाहन में होने वाले विधानसभा उपचुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जहां उन्हें भाजपा प्रत्याशी की जीत का पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि परिषद का चुनाव ऐसा नहीं था जिसमें उम्मीदवारों को सीधे लोगों द्वारा चुना जाता। फिर भी मैं कई उम्मीदवारों को देखकर हैरान था, जो जीतने के लिए इतने आश्वस्त लग रहे थे, लेकिन हार गए।

दरअसल, बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए चार अप्रैल को मतदान के बाद गुरुवार को मतगणना में सत्तारूढ़ राजग ने आधे से अधिक पर कब्जा कर अपना दबदबा बरकरार रखा है। लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने भी इस चुनाव में छह सीटें जीत कर अपनी सीटों की संख्या में सुधार करने में कामयाबी हासिल की। हालांकि, उसने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जो किसी भी पार्टी के लिए सबसे ज्यादा संख्या थी।

इस चुनाव में चौकाने वाली बात यह है कि विद्रोहियों ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर चार निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की है। बिहार की 75 सदस्यीय विधान परिषद में 24 सदस्यों का कार्यकाल पिछले साल जुलाई में समाप्त हो गया था, लेकिन कोरोना महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण चुनाव स्थगित करना पड़ा था। महामारी के कारण पंचायत चुनाव में देरी होने के कारण विधान परिषद चुनाव में भी देरी हुई।

बिहार में सत्तारूढ़ राजग में शामिल भाजपा ने 12 पर चुनाव लड़ा था और उसने सात सीटों पर जीत हासिल की। पार्टी को सारण जैसी जगहों पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जो पूर्व एमएलसी सच्चिदानंद राय की झोली में गया। राय एक अनुभवी भाजपा नेता थे, जो अपनी पुरानी सीट से टिकट से वंचित होने पर निर्दलीय के रूप में मैदान में कूद गए थे।

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