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प्रश्नकाल में नेता प्रतिपक्ष को मिला अपनी बात रखने का मौका
नेता प्रतिपक्ष की ओर से सवाल उठाए जाने पर स्पीकर अवध बिहारी ने कहा, ‘आप भी इस आसन पर रहे हैं, जरा मैं आपसे जानना चाहता हूं कि क्या प्रश्नकाल बाधित किया जाना उचित है?’ इस पर नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि नरसंहार हो गया, लोगों की जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्नकाल नहीं है। उन्होंने कहा कि जब मैं आसन पर था तो विपक्ष को पूरा सम्मान देता था, पूरा बिहार और पूरा देश देख चुका है। अगर आपको इस तरह से सदन चलानी है तो कार्य मंत्रणा समिति की बैठक बुलाइए। उसके बाद किसी विषय पर चर्चा होगा। आप लोग जबरदस्ती सदन चला रहे हैं। सेना के अपमान को लेकर माफी मांगनी चाहिए।
मंत्री विजय चौधरी ने दिया नेता प्रतिपक्ष के आरोपों का जवाब
इसपर मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष सही कह रहे हैं। आसन को सरकार के दबाव में नहीं चलना चाहिए। हम सरकार की तरफ से सदन को और बिहार की जनता को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारा महागठबंधन की सरकार कभी भी आसन पर दबाव बनाना नहीं चाहती है। जैसे इन्होंने (नेता प्रतिपक्ष) कहा कि आसन को सरकार के इशारे पर नहीं चलना चाहिए और हमने समर्थन किया, ठीक उसी तरीके से विपक्ष के दबाव में आसन को गलत निर्णय नहीं लेना चाहिए। यह भी उतना ही जरूरी है। आसन सर्वोपरी है। आसन नियमन देने के बाद आप सदन के बीच में आ रहे हैं तो इसका क्या मतलब है।
बिहार में गुंडा राज : नेता प्रतिपक्ष
इसके जवाब में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि गलवान के शहीद के पिता को जेल भेज दिया गया। यह गंभीर विषय है। एक तरफी मंत्री शहीद की बेइज्जती कर रहे हैं, उसका असर प्रशासन पर दिख रहा है। जो प्रशासन गुंडा राज स्थापित करना चाहता है, वही प्रशासन शहीद के पिता को जेल भेज रहा है। सदन में बैठे हैं संसदीय कार्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री जी वे इसपर जवाब दें और माफी मंगवाएं। सेना पूरे देश का होता है किसी पार्टी का नहीं होता है। इनके मंत्री बेलगाम हैं। आए दिन अनाप शनाप बयान देकर सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विरासत को अपमानित कर रहे हैं। ऐसे लोग सरकार में रहने के योग्य नहीं हैं। जो सैनिक देश की खातिर शहीद होता है उसके पिता को जेल में बंद कर दिया जाए, क्या यहां गुंडा राज है।
सेना का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे: नेता प्रतिपक्ष
इसपर डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा, ‘इन्होंने जिक्र किया कि गलवान घाटी में जो शहीद हुए वह वैशाली जिले से आते हैं। मैं वैशाली जिले के राघोपुर विधानसभा सीट से चुनकर आता हूं। हमको तो पता नहीं है कि जब वह शहीद हुए थे और उनकी बॉडी लाई जा रही थी तब ये गए थे कि नहीं गए थे, लेकिन मैं जरूर गया था। हम तो वहां गये, शहीद के परिवार की मांग थी कि बेटे का स्मारक और द्वार बनाया जाए। उस समय मैं सरकार में नहीं था। मैंने उनकी मांग को लेकर आश्वस्त किया।’ ये मांग इनको पूरा करना चाहिए था, क्योंकि ये लोग तथाकथित रूप से देशभक्त हैं। हम लोग देशभक्ति बेचने का काम नहीं करते हैं, देशभक्ति हमारे जेहन में रहता है। लेकिन जब स्मारक बनाने के बात हुई तो शहीद के परिजनों ने कहा कि हमारे जमीन पर स्मारक मत बनवाइए, बगल में दलित परिवार का जमीन है उसपर स्मारक बनवाइए। ऐसे में हम वहां पर स्मारक तो बना नहीं सकते थे, क्योंकि यह संभव नहीं था। दूसरी बात अभी नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि शहीद के पिता को अरेस्ट किया गया। तो मैं यह कहना चाहूंगा कि यह महागठबंधन की सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही है। कानून अपना काम कर रहा है। इसमें ना किसी फंसाया जा रहा है और ना ही बचाया जा रहा है। लेकिन हमारी सच्ची श्रद्धा शहीदों के प्रति है। यह जानकारी मुझे आरजेडी युवा जिला अध्यक्ष ने दी है।
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि आप (विजय कुमार सिन्हा) जब आसन पर थे तो कहा करते थे कुर्सी मत छुओ, टेबल मत पटको आज जब आसन से उतर गए तो हृदय परिवर्तन कैसे हो गया।
‘सरकार के मंत्री सांस्कृति विरासत को कलंकित कर रहे हैं’
इसपर नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का हृदय विशाल होना चाहिए। इन्होंने बहुत अच्छी बात कही कि जब मैं आसन पर था तो इनका हृदय जानता होगा कि स्पीकर रहते हुए हमने इनका कितना संरक्षण किया। आज हमारी बात को अगर पहले ही सुना जाता तो यह बात ही नहीं होती। आपके बगल में बैठे मंत्री से क्षमा मांगने को कहिए जो आए दिन सेना का अपमान करते हैं। आपके ही लोग आए दिन अनाप शनाप बयान देकर सांस्कृतिक विरासत को कलंकित क्यों करते हैं।
बता दें कि बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी दलों के नेता भारी शोर-शराबा करने लगे। स्पीकर के बार-बार मना करने के बाद भी बीजेपी के विधायाकों ने नारेबाजी बंद नहीं की। इसके बाद स्पीकर ने प्रश्नकाल में ही नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा को अपनी बात रखने की इजाजत दी।
क्या है गलवान के शहीद के पिता को जेल भेजने का मामला
गलवान घाटी में शहीद हुए वैशाली जिले के लाल शहीद जय किशोर के पिता को रात के अंधरे में घसीटते हुए पुलिस अपनी गाड़ी में बैठा कर जन्दाहा थाने ले जाने का आरोप है। पुलिस की यह शर्मनाक करतूत CCTV में कैद हुई है। बेटे की शहादत के बाद मां मंजू देवी की के आंखों के आंसू अबतक सूखे भी नहीं हैं और पुलिस उनके पति के साथ ऐसा व्यवहार किया है। वह कभी बेटे की याद में तो कभी पुलिसिया जुल्म को लेकर रोते रहती हैं। आखिर पूरा मामला क्या है यह हम बताने की कोशिश कर रहे हैं।
जिस वक्त शहीद जय किशोर सिंह का पार्थिव शरीर उनके घर आया था उस वक्त बिहार के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से लेकर कई बड़े केंद्र और राज्य के नेता शहीद के परिजन से मिलने आए थे। उस वक्त शहीद की याद में कई तरह की घोषणा की गई थी। इन्हीं घोषणाओं के तहत शहीद की प्रतिमा को स्थापित किया जाना है। वर्तमान उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शहीद की प्रतिमा बना कर भेजा था। जिसे परिजन ओर स्थानीय लोगों की मदद से शहीद के घर से सटे सरकारी जमीन पर स्थापित किया गया।
दरअसल, शहीद के घर के पास ही सरकारी जमीन है और इसके बगल में हरिजन के घर की ओर जाने वाला रास्ता है। इसी जमीन को लेकर विवाद है। जहां शहीद का स्मारक बनने के बाद हरिजन के घर की तरफ जाने वाला रास्ता अवरुद्ध हो जाएगा। उसी के बाद से शहीद की प्रतिमा स्थापित किए जाने का मामला गम्भीर होता चला गया। जिला प्रशासन ने इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया, बल्कि सीधे शहीद के पिता पर एफआईआर कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
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